कैमूर में सुधाकर सिंह ने नीतीश कुमार को सुनाई खरी-खोटी, राकेश टिकैत ने भी केंद्र को घेरा

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कैमूर: जिले के चांद प्रखंड मुख्यालय के मैदान में पहुंचे किसान नेता राकेश टिकैत और बिहार सरकार के पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने सरकार पर जमकर हमला बोला. मामला भारतमाला एक्सप्रेस वे के तहत किसानों की जा रही जमीन का मुआवजा उचित मिलने को लेकर था. इसे लेकर आंदोलन में कैमूर के सभी प्रखंडों के किसान पहुंचे थे. इस एक्सप्रेस वे निर्माण में कैमूर जिले के पांच प्रखंडों के 50 गांव के किसान प्रभावित हो रहे हैं. उन किसानों की आवाज को बुलंद करने के लिए राकेश टिकैत और सुधाकर सिंह पहुंचे थे. सिंह ने नीतीश कुमार और उनके अधिकारियों पर निशाना साधा तो टिकैत ने केंद्र का घेराव किया.

सुधाकर ने की राकेश टिकैत की तारीफ

बिहार सरकार के पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने कहा कि किसान नेता राकेश टिकैत ने देश के प्रधानमंत्री को किसानों के मुद्दे को लेकर घुटने पर लाने का काम किया था. हम लोगों ने पहली बार मोदी को किसानों की मांग को लेकर झुकते हुए देखा. बिहार में 17 सालों में बेईमानों की सरकार है. जनतंत्र में जनता की सरकार बनती है, लेकिन यहां बिहार में अधिकारियों के लिए सरकार बनी है. कोई ऐसा व्यक्ति नहीं है जो बिहार के किसी भी ऑफिस में गया हो और बिना घूस दिए काम कराया हो.

नीतीश के अधिकारी भ्रष्ट हैं’

पहले कैमूर आना अधिकारियों के लिए कालापानी की सजा की तरह थी, लेकिन अब जो भ्रष्ट अधिकारी होते हैं वह 80 लाख से एक करोड़ घूस देकर कैमूर आना चाहते हैं. इस नई सरकार में दाखिल खारिज, जो 3000 रुपये घूस देकर होता था अब वह 5000 हो गया है. हम लोग हर चीज के लिए घूस देते हैं. हमारी लड़ाई भारत सरकार से है जो एक्सप्रेस वे भारतमाला का निर्माण हो रहा है, उसमें हमने कृषि वाहनों के लिए सर्विस सड़क चाहिए. जमीन का मुआवजा बाजार मूल्य से चार गुना देने की बात कही थी, लेकिन वह सर्किल रेट पर खरीद रही.

नीतीश 300 करोड़ की प्लेन से दिल्ली जाते विशेष राज्य का दर्जा मांगने’

आगे सुधाकर बोले कि हम लोग नीतीश कुमार को जीता कर उनके झांसे में आ गए. मैंने कहा था कि मैं अब चोरों का सरदार हो गया तो इस बात पर मुझसे इस्तीफा तक ले लिया गया. मैंने गलत नहीं कहा था. नीतीश कुमार विशेष राज्य के दर्जे की भीख मांगने दिल्ली जाते हैं, वह भी साढ़े तीन सौ करोड़ की प्लेन से जाते हैं. इतना बड़ा भीखमांगा नहीं देखा. ऊपर बैठे लोग सच में बेशर्म हैं, अगर मैं इन्हें बेशर्म कहता हूं तो सुबह सुबह फोन करते हैं कि बेशर्म क्यों कह दिया? हमारे कुछ भी बोलने से अगर आप नाराज हो रहे हैं तो आप ही वह शब्द बताइए जिसे मैं विधानसभा में बोलूं तो आप नाराज नहीं होंगे.

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