लत्तीपुर चौक जो अपनी भीड़भाड़ और हलचल के लिए जाना जाता है, नववर्ष की सुबह एक अलग ही नजारा पेश कर रहा था। हनुमान मंदिर के सामने कुछ शराबी असामाजिक तत्वों ने अपना ‘जश्न’ कुछ इस तरह मनाया कि आने-जाने वाले राहगीरों, ऑटो चालकों और टेम्पो चालकों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ा।
ये तथाकथित ‘नववर्ष के उत्सवधारी’ अभद्र भाषा का उपयोग कर न केवल राहगीरों की राह रोक रहे थे, बल्कि पूरे माहौल को असहज बना रहे थे। लोग इन असामाजिक तत्वों से बचते हुए, नजरें झुकाकर और रास्ता बदलकर किसी तरह अपनी मंजिल तक पहुंचने की कोशिश कर रहे थे।
स्थानीय लोगों का कहना है कि लत्तीपुर चौक पर ऐसी घटनाएं कोई नई बात नहीं हैं। परंतु, नववर्ष जैसे विशेष अवसर पर भी पुलिस प्रशासन की गैरमौजूदगी ने सभी को हैरान कर दिया। एक ओर जहां चौक को संवेदनशील माना जाता है, वहीं दूसरी ओर वहां कोई पुलिस व्यवस्था न होना लोगों के लिए चिंता का विषय बना रहा।
आम जनता का सवाल है—क्या लत्तीपुर चौक को यूं ही असामाजिक गतिविधियों का अड्डा बनने दिया जाएगा या प्रशासन कभी इन घटनाओं पर गंभीरता से ध्यान देगा? फिलहाल, लत्तीपुर चौक की यह घटना प्रशासनिक उदासीनता की एक और कहानी बन गई है।