नवगछिया। बिहार में कोरोना टीकाकरण का आंकड़ा 10 करोड़ पहुंचना एक चमत्कारिक उपलब्धि है। एक साल से भी कम समय में इस मुकाम तक पहुंचना कोई आसान काम नहीं है। इससे एक सुखद अनुभूति हो रही है। इसमें एक-एक व्यक्ति का योगदान है। स्वास्थ्यकर्मी से लेकर सरकारी कर्मचारी तक। आमलोगों से लेकर जनप्रतिनिध तो डॉक्टर से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों ने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ऐसा कहना है जिले के अलग-अलग क्षेत्र में काम करने वाले लोगों का।
खरीक प्रखंड के मिरजाफरी स्थित मध्य विद्यालय के एचएम विवेकानंद झा कहते हैं कि हमलोग शुरू से ही लोगों को कोरोना का टीका लेने के लिए जागरूक कर रहे हैं। हालांकि लोगों के मन में शंकाएं रहती हैं, कोरोना टीका को लेकर भी था। अब तो लोग टीका लेने में काफी उत्साह दिखा रहे हैं। अगर किसी व्यक्ति ने अभी तक टीका नहीं लिया है तो उसके मन में यह भाव जरूर आता है कि हम पीछे हैं। यही कारण है कि वह तत्काल टीका लेने के लिए केंद्रों तक पहुंच जाते हैं।
खरीक बाजार पंचायत की मुखिया इंदु देवी कहती हैं कि कोरोना जैसी महामारी से बचाव के लिए सरकार ने टीकाकरण के लिए जो इतने बड़े पैमाने पर व्यवस्था की, वह काफी सराहनीय है। हमलोग क्षेत्र में रहते हैं, इसलिए हमलोगों का भी दायित्व था कि सरकार के प्रयास को सफल बनाएं। ऐसा ही हमलोगों ने किया। पंचायत के एक-एक लोगों तक टीका पहुंचाने में हमलोगों ने दिन-रात एक कर दिया। अब जब यह सुनती हूं कि बिहार में टीकाकरण का आंकड़ा 10 करोड़ पहुंचने वाला है तो सुकून मिलता है। इसमें मेरी पंचायत के लोगों का भी अहम योगदान हैं। एएनएम अनुपम रंजन कहती हैं कि बाढ़ प्राभावित क्षेत्रों में जाकर लोगों का टीकाकरण करना, चुनौतीपूर्ण तो था ही लेकिन इसमें मजा भी आता था। अभी भी लोगों का टीकाकरण करने के लिए क्षेत्र के सुदूर क्षेत्रों में जा रही हूं। सबसे अच्छी बात टीका के प्रति वहां के लोगों के मन में जो भ्रांतियां थीं, उसे दूर करती रही। लोगों के मन में बहुत छोटी-छोटी बातों को लेकर शंकाएं हैं, जो कि दूर भी आसानी से हो जाया करती हैं। अब तो सभी लोग समझदार हो गए हैं। बचे हुए लोग खुद ही टीका लेने के लिए सामने आ रहे हैं।
आमलोगों की भूमिका सराहनीयः खरीक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉ. नीरज कुमार कहते हैं कि हमारे क्षेत्र के लोग कोरोना के प्रति शुरू से ही जागरूक रहे हैं। जब इसकी शुरुआत हुई थी तो लोग जागरूकता अभियान में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते थे। जब टीका आया तो लोग टीकाकरण में अपनी भूमिका निभाने लगे। 10 करोड़ के आंकड़े तक पहुंचने में आमलोगों की भूमिका सरहानीय है। अगर सभी लोगों का सहयोग नहीं मिलता तो ऐसा नहीं हो पाता। क्षेत्र के छूटे हुए लोगों का भी जल्द ही टीकाकरण हो जाएगा।