नवगछिया के तेतरी दुर्गा मंदिर का इतिहास साढ़े चार सौ वर्ष पुराना
बसंत कुमार चौधरी/नवगछिया। अनुमंडल क्षेत्र में गुरुवार को शारदीय नवरात्र के मौके पर सभी देवी मंदिरों में पूरे विधि-विधान व निष्ठापूर्वक माँ भगवती के चौथे स्वरूप माँ कुष्मांडा की पूजा हुई। नारायणपुर दुर्गा मंदिर, भ्रमरपुर दुर्गा मंदिर, बिहपुर, सैदपुर समेत विश्व भर में प्रसिद्ध तेतरी दुर्गा मंदिरों में दुर्गा सप्तशती पाठ किया गया। नवगछिया के तेतरी स्थित विश्व भर में प्रसिद्ध शक्तिपीठ दुर्गा मंदिर का इतिहास साढ़े चार सौ वर्ष पुराना है। इस संबंध में मंदिर के पुजारी प्रमोद झा कहते है कि 16वीं शताब्दी के आसपास कहीं से गंगा नदी के रास्ते बहते हुए माँ भगवती का एक मेढ़ तेतरी गाँव के समीप कलबलिया धार के किनारे आ गया था। उसी रात तेतरी निवासी प्रीतम सौढैया को सुप्तावस्था में स्वप्न आया कि माँ भगवती उनसे आकर कहती है कि हमे उठाकर यहां से ले चलो। सुबह उठकर जब प्रीतम कलबलिया धार जाकर देखा तो स्वप्न में देखा हुआ वही मेढ़ वहां पड़ा हुआ था। तभी मेढ़ खोजते-खोजते खरीक के काजीकारैया के ग्रामीण वहां आ पहुंचे और मेढ़ उठाकर वहां से लेकर जाने का प्रयास करने लगे, परंतु मेढ़ उस स्थान से टस-मस नहीं हुआ। वही तेतरी गांव के प्रीतम सौढैया समेत ग्रामीण उस मेढ़ को उठाकर तेतरी ले आए। बताया गया कि प्रीतम उस मेढ़ को अपने घर ले जाने के प्रयास में थे किंतु तेतरी मंदिर के समीप आने के बाद उस स्थान से मेढ़ आगे नहीं बढ़ रहा था। मजबूरन मेढ़ को वहीं छोड़ देना पड़ा। जिसके बाद तेतरी के प्रबुद्धजनों ने ग्रामीणों के साथ मिलकर उसी स्थान पर मेढ़ रखकर मंदिर की स्थापना की गई।
मंदिर की स्थापना तकरीबन 1600 ई. में की गई है। यह मंदिर शक्तिपीठ के रूप में जाना जाता है। जो भी भक्त यहां स्वच्छ मन से मन्नतें मांगते है, उनकी मुरादें पुरी होती है। विधानसभा प्रत्याशी सह राजपा के बिहार प्रदेश उपाध्यक्ष संजीव कुमार सिंह उर्फ झाबो दा ने बताया कि तेतरी मंदिर की ऊंचाई करीब 150 फिट है। मंदिरों को अत्याधुनिक लाइटिंग से सजाया गया है। मेले में टावर झूला, ब्रेक डांस, मौत का कुंआ, मनिहारी, फर्नीचर बाजार समेत चार सौ से अधिक दुकाने सजती है। हर वर्ष नवरात्री पर मंदिर परिसर में लगने वाले भव्य मेले में देश-विदेश से करीब 5 लाख से अधिक श्रद्धालु देवी के साक्षात दर्शन करने आते हैं। नवरात्री पर संध्या आरती के साथ साथ प्रत्येक दिन प्रवचन का आयोजन होता है। यहां देवी माँ की प्रतिमा को बहुत ही धूमधाम से कलबलिया धार में विसर्जित किया जाता है। जिसमे भारी संख्या में श्रद्धालुगण शामिल होते हैं।