नवगछिया में टीबी केयर एंड सपोर्ट ग्रुप की हुई बैठक ।।

नवगछिया में टीबी केयर एंड सपोर्ट ग्रुप की हुई बैठक ।।

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  • केएचपीटी के सहयोग से बैठक का किया गया आयोजन

नवगछिया। अतिरिक्त यक्ष्मा केंद्र में नवगछिया में गुरुवार को कर्नाटका हेल्थ प्रमोशन ट्रस्ट (केएचपीटी) के सहयोग से टीबी केयर एंड सपोर्ट ग्रुप की बैठक आयोजित की गई। अध्यक्षता प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. भारती सिन्हा ने की। बताया गया कि टीबी उन्मूलन को लेकर केएचपीटी स्वास्थ विभाग को कई तरह से सहयोग कर रहा है। इसमें से एक है केयर एंड सपोर्ट ग्रुप की बैठक को नियमित तौर पर प्रत्येक माह आयोजित करवाना। इसी कड़ी में यह बैठक आयोजित की जा रही है। इस दौरान विभिन्न तबकों की भागीदारी सुनिश्चित की गई।


बैठक में 19 इलाजरत मरीज, दो टीबी से ठीक हो चुके मरीज, 18 उनकी देखभाल करने वाले और सामुदायिक संरचना के 3 प्रतिनिधि उपस्थित हुए थे। टीबी के वर्तमान मरीजों को इलाज के दौरान होने वाली परेशानियों का समाधान डॉक्टर भारती सिन्हा के द्वारा किया गया। इस समाधान में न सिर्फ दवा, बल्कि उसके अलावा शारीरिक गतिविधियां और योग के द्वारा भी उन समस्याओं को समाधान करने के उपाय बताए गए। मरीजों को निश्चय पोषण योजना की राशि मिलने में होने वाली कठिनाइयों का समाधान वरीय यक्ष्मा पर्यवेक्षक मनीष माधव के द्वारा किया गया। केयर गिवर के द्वारा मरीजों की देखभाल में हो रही परेशानियों पर भी चर्चा की गई। उन समस्या का समाधान डॉ. भारती सिन्हा द्वारा किया गया। वही केएचपीटी के बिहैवियर चेंज सॉल्यूशन मॉडल के तहत टीबी के वर्तमान इलाजरत मरीजों को टीबी स्टार्टर किट के रूप में डायरी प्रदान की गयी। टीबी का इलाज पूरा कर चुके मरीज को टीबी मुक्त सर्टिफिकेट दिया गया। इस डायरी का कैसे उपयोग करना है, इसके बारे में सीसी संदीप कुमार के द्वारा सभी मरीजों को विस्तारपूर्वक बताया गया। इसके साथ ही संदीप कुमार द्वारा टीबी मरीजों को दवा खाने के महत्व को कहानी के माध्यम से समझाया गया।

बैठक का समापन करते हुए केएचपीटी के कोऑर्डिनेटर संदीप कुमार ने बताया कि उन्हें अगले माह फिर इस बैठक में आना है। डॉ भारती सिन्हा ने कहा कि जागरूकता के माध्यम से ही टीबी को हमलोग खत्म करेंगे। इससे टीबी के मरीजों को काफी फायदा हो रहा है। खासकर इलाजरत मरीजों को होने वाली परेशानियों का समाधान किया जा रहा है। इस तरह के कार्यक्रम से टीबी बीमारी के इलाज को लेकर संकोच करने वाले लोग भी सामने आएंगे। समाज के लोगों में टीबी के प्रति छुआछूत कम होगा। टीबी को समाप्त करने के लिए सामाजिक चेतना बहुत ही जरूरी है।

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