नवगछिया शहर के दुकानों में बगैर सत्यापित बाट और तराजू का उपयोग करते हैं दुकानदार ।। Inquilabindia

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  • तौल में दुकानदार कांटा मार ग्राहकों को लगा रहे चुना
  • दुकानों में इस्तेमाल हो रहे तराजू अमानक
  • मापतौल के अधिकारी नही करते जांच
  • कम तौल को लेकर नवगछिया बाजार में रोज होती है ग्राहक-दुकानदार में विवाद

नवगछिया। आगामी लगातार त्यौहार का सीजन होने के कारण इन दिनों बाजार में फल और मिठाई की डिमांड बहुत बढ़ने लगी है। वही नवगछिया शहर समेत बाजार के अधिकांश दुकानों में खरीददारी करने जा रहे हैं, तो कोई बड़ी बात नहीं है कि तौल में दुकानदार कांटा मार दे। शहर समेत यहां के सभी बाजार के दुकानों में इस्तेमाल हो रहे तराजू अमानक हैं क्योंकि नाप-तौल विभाग की ओर से अब तक खानापूर्ति करते हुए कुछ दुकानों में ही ताैलने के उपयोग में लाए जा रहे उपकरणों की जांच की गई है। वही विभाग की लापरवाही का फायदा दुकानदार जमकर उठा रहे हैं। सब्जी, फल हो या मिठाई खरीदने वाला ग्राहक किसी भी सामान की खरीदी पर विश्वास के साथ यह नहीं कह सकता है कि उसे सामान सही तौलकर दिया गया है। नवगछिया शहर के दुकानों में बगैर सत्यापित बाट और तराजू का उपयोग दुकानदार कर रहे हैं। तौल कांटा और किलो बाट का सत्यापन करने हेतु विभाग की ओर से यहां टीम का गठन हुआ है या नहीं हुआ है जानकारी नही। देखा गया कि त्यौहारी सीजन में अफसर खाद्य-पदार्थ और किलो-बाट की जांच करने दुकानों पर दबिश देते रहे हैं। वही बिना रजिस्ट्रेशन इलेक्ट्रानिक कांटे से सामग्री बेचने वालों को विभाग से सत्यापन कराने के लिए मोहलत दी जाती है। इधर अब भी नवगछिया के बाजारों में इलेक्ट्रानिक कांटे की जगह तराजू का इस्तेमाल हो रहा है। इससे ग्राहक वजन में छले जा रहे हैं। अनुमंडल भर में हजारों व्यापारी हैं। इनमें सब्जी विक्रेता से लेकर बड़े व्यापारी और धरमकांटा वाले शामिल हैं।व्यापारियों ने अपने सामान की बिक्री के लिए किलो बाट या इलेक्ट्रॉनिक तौल मशीन रखी है। लोहे के तराजू रोज-रोज उपयोग होने से घिस जाते हैं। इलेक्ट्रानिक उपकरण में भी कई तरह की तकनीकी खराबी आ जाती है। ऐसे उपकरणों की जांच के लिए नापतौल विभाग को शासन ने अधिकृत किया गया है। कैंप लगाया जाता है, व्यापारियों को नोटिस दी जाती है। व्यापारी कैंप में स्टैंपिंग कराते हैं। नापतौल विभाग कैंप लगाकर ऐसे उपकरणों की जांच कर स्टैंपिंग करती है। कायदे के अनुसार विभाग को ऐसे व्यापारियों की तलाश करनी रहती है जो स्टैंपिंग नहीं कराते और पुराने किलो बांट अपने सामानों की बिक्री कर उपभोक्ताओं को चूना लगाते हैं। यहां शायद विभाग के अधिकारी अमानक किलो बांट का उपयोग करने वाले व्यापारियों के ठिकाने पर कार्रवाई नहीं कर रहे है जिस कारण बाजार में फल, शब्जी और मिठाई बेचने वाले दुकानदार मनमाने तरीके से ग्राहकों के साथ छल करके कम तौल देते हैं।

  • तराजू में बाट की जगह पत्थर और दो तराजू रखते हैं दुकानदार

नियम के मुताबिक व्यापारियों को हर साल किलो बांट में स्टैंपिंग कराना चाहिए, लेकिन व्यापारी स्टैंपिंग नहीं कराते। बाजार में आज भी पत्थर ईंट और लोहे के अन्य वस्तुओं से सब्जी, फल और मिठाई की तौल की जाती है। इसके कारण उपभोक्ताओं को चूना लगता है। उपभोक्ता छले जाते हैं और उन्हें निर्धारित मात्रा में सामान नहीं मिल पाता। साथ ही साथ दुकानदार दो तराजू का उपयोग करते हैं। जब कोई ग्राहक किसी तरह उस दुकानदार की चोरी पकड़ लेते हैं, जिसपर दोनो के बीच तूतू-मैंमैं शुरू होने लगती है तो वहां भीड़ जमा होने लगती है। कम तौल देने की बात बाजार से बाहर लोगो तक फैले नही इसके लिए दुकानदार दूसरा तराजू का उपयोग कर ग्राहक समेत भीड़ को उस तराजू से सही तौल दिखाकर शांत कर देते है। वही उसके जाते ही फिर उसी तराजू से दूसरे ग्राहक को कम तौल कर समान देने लगते है। नवगछिया बाजार में इसे लेकर प्रत्येक दिन ग्राहक और दुकानदार के बीच विवाद होता है और स्थानीय प्रशासन कार्यवाई के नाम पर खानापूर्ति कर पल्ला झाड़ लेते हैं। इस बारे में नवगछिया एसडीओ उत्तम कुमार ने बताया कि जिले में स्थापित मापतौल के अधिकारियों को जांच के लिए कहा जाएगा। सत्यता पाए जाने पर ऐसे दुकानदारों पर कार्यवाई होगी।

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