Site icon INQUILAB INDIA

मॉरिशस में रामचरित मानस और राम के चरित्र का मानव जीवन पर अमिट प्रभाव: डॉ दीपक मिश्र

IMG 20220519 WA0024

बसंत कुमार चौधरी, नवगछिया। साहित्यिक सांस्कृतिक शोध संस्था, मुंबई द्वारा 8 से 14 मई तक आयोजित राम चरित्र का विश्व में प्रभाव के क्रम में भजन सम्राट, अंग विभूति डॉ दीपक मिश्र मॉरिशस गए थे। वहां संस्था के अन्य विद्वानों के साथ मॉरिशस के महात्मा गांधी संस्थान, हिंदी प्रचारिणी सभा, विश्व हिंदी सचिवालय सहित प्रधान मंत्री कार्यालय व कई कार्यक्रम में भाग लिया। अपने वक्तव्य और राम-सीता के चरित्र को भजनों के माध्यम से प्रदर्शित किया। मौजूद अधिकारी एवं विद्वानों ने मॉरिशस में राम के प्रभाव का अद्भुत वर्णन सुनाया। 1834 ई में अंग्रेज द्वारा बिहार और पूर्वी उत्तरप्रदेश के मजदूरों को एग्रीमेंट के तहत मॉरिशस ले गया।

तीन महीने पानी जहाज से यात्रा के क्रम में कई मजदूर रास्ते में मर गए। कुछ ने समुद्र में कूदकर जान दे दिया। कुल 36 मजदूर वहां पहुंचे। वहां पथरीली जमीन को उपजाऊ बनाने के लिया पत्थर को तोड़ना था। अंग्रेजों ने कहा इस पत्थर के नीचे सोना है। बिहार ने वहां अपनी मेहनत का परचम लहरा दिया। वे मजदूर अपने साथ रामचरित मानस तथा हनुमान चालीसा ले गए थे। उस समय गीता प्रेस नही था, कैथी में रामायण था। कहा, जिस तरह राम वन आए और बाद में राजा बने, जंगल में हनुमान मिले।

ठीक उसी तरह हम लोगों का भी दिन बदलेगा। अपने गांव के अन्य लोगों को भी बुलाया और कहा कि हमलोग गिरमेट के तहत आए हैं। अनपढ़ होने के कारण एग्रीमेंट को गिरमेट बोलते थे। वही बाद में गिरमिटिया मजदूर बन गया। आज वही गिरमिटिया बिहारी वहां का शहांशाह है। मॉरिशस प्रशासन में इनका महत्वपूर्ण योगदान है। महात्मा गांधी संस्थान के डायरेक्टर जनरल रामलाल ने बताया कि यहां 7 वीं से 10 वीं कक्षा तक किसकिंधा कांड कोर्स, 11वीं व 12 वीं में अरण्य काण्ड के अनुसूया प्रसंग, जिसमे नारी के उत्तम चरित्र की चर्चा है। बीए तथा एमए में रामचरित मानस के उत्तर कांड को पढ़ाया जाता है। उन्होंने बताया कि मृत्यु होने पर दाह संस्कार के समय जो लोग अंतिम यात्रा में श्मशान घाट जाते हैं, वहां चटाई बिछा कर अयोध्या काण्ड राम वन गमन, दसरथ मरण और भरत द्वारा दसरथ के दाह संस्कार के प्रसंग का ढोलक, झाल मजीरा बजाकर पाठ करते हैं।

मॉरिशस की शिक्षा पद्धति को देखकर भारत एवं बिहार सरकार से विनम्र सुझाव है कि राम चरित मानस को भी पाठ्यक्रम में अवश्य शामिल किया जाय। वास्तव में राम का जीवन विश्व की मानव सभ्यता के लिए सर्वोत्तम संविधान है।

Exit mobile version