खगड़िया जिला अंतर्गत परबत्ता प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सक साहब की मनमानी चरम सीमा पर पहुंचते नजर आ रहे हैं, लेकिन इस खबर पर कहां तक जिला प्रशासन नजर डालती है या फिर इग्नोर करती है ये जिला प्रशासन खगड़िया हीं जाने। दिन 9 जनवरी थी साहब जब हर दिनों की तरह उस दिन भी सीएचसी परबत्ता अस्पताल में रोज की तरह डुमरिया बुजुर्ग निवासी स्वर्गीय अजय मिश्रा की पत्नी वंदना देवी सीरियस मरीज के रूप में पहुंची। जो कि नियमानुसार पंचीयन कटा सीएचसी अस्पताल में एडमिट हुई और डाक्टर हरिनंदन शर्मा ने प्राथमिक उपचार करना प्रारंभ कर दिया। स्थिति नाजुक होने के कारण डाक्टर हरिनंदन शर्मा ने बेहतर इलाज हेतु रोगी को रेफर कर दिया।

लेकिन पैसे के लालची डाक्टर हरिनंदन शर्मा ने 9 जनवरी की रात और 10 जनवरी की दिन रेफर करने के बावजूद भी बिना रेफर कैंसिल कीये अपने नीजी क्लीनिक पर बैठ रोगी को अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में हीं पुरी रात और रविवार के पुरा दिन रोगियों की ढकोसले ईलाज कर यूं हीं मजबूर रोगी वन्दना देवी के साथ टाल मटोल कर निजी क्लीनिक का लगवाता रहा चक्कर। लेकिन हाॅस्पिटल प्रभारी को जरा सी भी भनक नहीं लगने दिया। अंततः बेसहारा मजबूर रोगी वन्दना देवी के आक्रोशित परिजनों ने बेहतर इलाज हेतु हाॅस्पिटल से बाहर चला गया। जाते जाते रोगी वन्दना देवी के परिजनों ने ये भी बताया कि डाक्टर साहब एक भी बार अपने क्लीनिक को छोड़ अस्पताल के बैड पर लेटी रोगी के पास नहीं पहुंचा और दिन रात हाॅस्पिटल से क्लीनिक और क्लीनिक से हाॅस्पिटल का चक्कर कटवाते रहा।

वहीं इस मामले को लेकर डॉक्टर हरिनंदन शर्मा ने बताया कि रोगी अपनी मर्जी से रेफर करने के बाद भी बाहर नहीं गया और मैं पुरा दिन रात छुट्टी पर होने के बावजूद भी रोगी वन्दना देवी को देखते रहें। क्या आप ऐसा सोच सकते हैं कि कोई भी रोगी जिंदगी और मौत के बीच लड़ रहने के बावजूद भी ऐसा कार्य सोच या कर सकता है। वहीं इस मामले को लेकर सीएचसी प्रभारी डॉ राजीव रंजन ने बताया कि मुझे इस मामले की कोई अपडेट नहीं मिली थी, अब आगे से जांच पड़ताल करते हैं और ऐसे कार्यों पर रोक लगाते हैं। लेकिन कैमरे के सामने कोई टीका टिप्पणी नहीं करेंगे।
