लापरवाही: मरे हुए पशुओं काे एनएच- 31बिहपुर के नन्हकार झंडापुर मरवा और बिजली ग्रिड बिहपुर रोड के किनारे फेंक देते पशु तस्कर ।।

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लापरवाही: मरे हुए पशुओं काे एनएच- 31बिहपुर के नन्हकार झंडापुर मरवा और बिजली ग्रिड बिहपुर रोड के किनारे फेंक देते पशु तस्कर ।।

सड़ने से उठने वाली दुर्गंध वातावरण को करती है प्रदूषित, बीमारी की आशंका

नवगछिया। अनुमंडल के विभिन्न क्षेत्र में मृत पशुओं के निस्तारण की कोई व्यवस्था नहीं है। इस कारण आज भी मृत पशुओं को खुले स्थान पर फेंक दिया जाता है। मरे हुए पशुओं को खाने से खासकर कुत्तों को कई प्रकार की बीमारियां होती है। ये कुत्ते लोगों के लिए और खतरनाक हो जाता हैं। आवारा पशु व घरों में पाले जाने वाले मवेशियों के मृत शरीर को ठिकाने लगाने की कोई व्यवस्था नहीं है। गांवों के चारों तरफ बसने के बाद अब बिहपुर के एनएच 31 नन्हकार, मरवा सड़क और बिजली ग्रिड बिहपुर के किनारे खाली जगह ढूंढ़कर मृत पशुओं को फेंक दिया जाता है। जो काफी दुर्गंध देते रहता है। मरे हुए पशु से उठने वाली दुर्गंध वातावरण को प्रदूषित करती है। वहीं संक्रमण के कारण मृत पशु कई बीमारियों का कारण भी बन सकते हैं।

मरे हुए पशु का मांस खाने वाले कुत्तों में कई तरह की बीमारियां होती हैं। ऐसा कुत्ता अगर किसी व्यक्ति को काट ले, तो उसे व्यक्ति को कई बीमारियां हो सकती है। पशु चिकित्सक बताते हैं कि संक्रमित होकर मरे पशु का मांस अगर कुत्ता खा लेता है तो कुत्ता संक्रमित हो जाएगा। ऐसे में कुत्ता के काटने से व्यक्ति के संक्रमित होने की संभावना काफी बढ़ जाती है। जहां इन पशुओं को फेंका जाता है, वहां आस-पास रहने वाले लोगों को इसकी बदबू से दो-चार होना पड़ता है। आस-पास इतनी बदबू रहती है कि लोगों को वहां से गुजरना भी मुहाल हो जाता है। वहीं मरे हुए पशु को खाने वाले कुत्ते मांस व हड्डियों को काफी दूर तक फैला देते है। मरे हुए पशुओं को फेंकने की कोई व्यवस्था न होने के कारण खासकर सड़क दुर्घटनाओं में मरने वाले पशु सड़कों के किनारे पड़े सड़ते रहते हैं। इनके कारण आम लोगों को भारी परेशानी होती है। प्रशासन को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है।

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