पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार संध्या पटना के गोशाला रोड स्थित स्व. आचार्य किशोर कुणाल के आवास पर पहुंचकर उनके परिजनों से मुलाकात की। उन्होंने आचार्य किशोर कुणाल के तैल चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके योगदान को याद किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि आचार्य किशोर कुणाल की स्मृति में एक भव्य स्मारक भवन बनाया जाना चाहिए, जिसमें उनकी धरोहर को सहेजा जाए और जहां नियमित रूप से सत्संग व आध्यात्मिक संगोष्ठी का आयोजन हो।

परिजनों से आत्मीय मुलाकात
पूर्व राष्ट्रपति ने आचार्य किशोर कुणाल की पत्नी अनीता कुणाल, पुत्र सायण कुणाल, पुत्रवधु व सांसद शाम्भवी और अन्य परिजनों से आत्मीय मुलाकात की। उन्होंने अनीता कुणाल को स्वावलंबी महिला बताते हुए उनका ढांढस बंधाया और सायण कुणाल को पिता के पदचिह्नों पर चलने के लिए प्रेरित किया। साथ ही, उन्होंने सांसद शाम्भवी से भी कुशलक्षेम पूछा।

महावीर मंदिर के कार्यों की सराहना
रामनाथ कोविंद ने आचार्य किशोर कुणाल द्वारा महावीर मंदिर के माध्यम से किए गए मानव सेवा और परोपकार के कार्यों की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि जिस तरह उन्होंने धर्म को परोपकार से जोड़ा, वह एक अनुकरणीय मिसाल है। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि प्रस्तावित स्मारक भवन में उनके कार्यों की विरासत को सहेजकर रखा जाना चाहिए, जिससे आने वाली पीढ़ियां प्रेरणा ले सकें।
आचार्य किशोर कुणाल की पुस्तक की भेंट
इस अवसर पर सायण कुणाल ने पूर्व राष्ट्रपति को आचार्य किशोर कुणाल की पुस्तक ‘दमन तक्षकों का’ भेंट की। रामनाथ कोविंद ने इसे सम्मानपूर्वक स्वीकार किया और लगभग एक घंटे तक परिजनों के साथ रहे। इस दौरान स्व. आचार्य किशोर कुणाल के करीबी परिजन भी मौजूद रहे।
“धर्म और सेवा के प्रतीक थे आचार्य किशोर कुणाल”
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की इस यात्रा ने यह स्पष्ट कर दिया कि आचार्य किशोर कुणाल सिर्फ एक विद्वान नहीं, बल्कि धर्म, परोपकार और मानव सेवा के अद्वितीय प्रतीक थे। उनके योगदान को चिरस्थायी बनाने के लिए एक स्मारक भवन की कल्पना उनकी स्मृतियों को अमर रखने का महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।