गायत्री परिवार के द्वारा आयोजित युथ एक्सपोर्मेंट में पहुंचे लाखों युवा, 51 हजार लोगों में गायत्री देव स्थापना का लिया संकल्प

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श्रवण आकाश की कलम से (बिहार)

अखिल विश्व गायत्री परिवार की इकाई प्रांतीय युवा प्रकोष्ठ,पटना (बिहार) के द्वारा पटना के गांधी मैदान में YOUTH EMPOWERMENT (युवा सशक्तिकरण) का भव्य आयोजन किया गया। जिसमें पटना से लगभग एक लाख युवा एवं युवतियों के साथ ही साथ पूरे बिहार के 38 जिलों से एवं उत्तर प्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल एवं दिल्ली से युवा भाईयों की उपस्थिति रही। जहां तकरीबन 51 हजार लोगों में गायत्री देव स्थापना का संकल्प भी दिलाया गया। वहीं इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में शांतिकुंज, हरिद्वार स्थित देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पण्ड्या, बिहार सरकार के I.G गृह विभाग विकास वैभव, डॉ अशोक कुमार (जोनल समन्वयक, गायत्री शक्ति पीठ,कंकड़बाग,पटना, श्री मनीष कुमार जी ( संचालक, प्रांतीय युवा प्रकोष्ठ ,पटना ) एवं युवा प्रकोष्ठ के सभी भाई उपस्थित थे।

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वहीं मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने अपने संबोधन में कहा कि मनुष्य जीवन अनंत संभावनाओं को लेकर धरती पर आता है और अभी जो समय चल रहा है और वो हम सभी के संभावनाओं को जगाने का समय है। जिसके लिए मात्र एक अखिल विश्व गायत्री परिवार कार्य कर रहा है। जिस प्रकार छोटे से बीज से ही विशाल वृक्ष बनते हैं और हमें आक्सीजन, छाया और फल देते है। हम सभी के जीवन में कई बार ऐसा लगता है कि यह काम छोटा है, मेरे व्यक्तित्व के अनुकूल नहीं हैं, लेकिन हमें यह भी सोचना चाहिए कि जब कोई नदी अपने उद्गम से निकलती हैं, तो वह बहुत छोटी होती है। एक पेड़ जो अपनी विशालता से आकर्षित करता है, अनेक पक्षियों का बसेरा होता है। इसी प्रकार हम सभी को अपने जीवन में आने वाली संभनाओं से कुछ बेहतर करने का विचार रखना चाहिए।

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इसके पश्चात वहीं मौजूद विकाश वैभव (SP.HOME I.G) ने युवाओं को संबोधित करते हुए विवेकानंद की बातों को कहा उठों ! जागो और तब तक आगे बढ़ों, जब तक अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर लो, विवेकानंद की ये बाते आज भी युवाओं के लिए प्रासंगित है। आज का युवा शॉर्टकर्ट में ही सबकुछ हासिल करना चाहता है। वह बहुत जल्द ही अपने को थका-हारा महसूस करता है। स्वामी विवेकानंद जी की एक संजीवनी विचार जो पूरे युवाओं को अपने अंदर आत्मसात करते की करने की जरूरत हैं। युवावस्था में असीम शक्ति है, जो विवेकानंद जी ने साक्षात दिखाया जिन्होने कोलकाता से लेकर शिकागो धर्म सम्मेलन के साथ पूरे विश्व को बताया की “शक्ति ही जीवन है और निर्बलता ही मृत्यु है” इसका तात्पर्य यह है की हमारे अंदर ऊर्जा की कमी नहीं है, हम स्वंय ऊर्जा की भंडार है किन्तु हम ऊर्जा अपने अंदर अध्यात्म और भारतीय संस्कृति के माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं जो पूरे विश्व को एक अलग ही प्रेरणा देता है। इस कथन को सूत्रवाक्य के रूप अपनाया जा सकता है।

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