श्रवण आकाश, खगड़िया की कलम से
प्रांतीय युवा प्रकोष्ठ , पटना बिहार के द्वारा 12 जनवरी 2023 को स्वामी विवेकानंद जी के जयंती समारोह आयोजित कर मनाई राष्ट्रीय युवा दिवस। जिसमें 2150 युवा भाई एवं 115 बहनें इस आयोजन में सम्मिलित हुए | वहीं इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बिहार के पंचायती राज विभाग के सचिव एवं IAS अधिकारी श्री रणजीत कुमार सिंह एवं वित विभाग के अतिरिक्त सचिव श्री मिथलेश मिश्र जी उपस्थित रहें |
वहीं डॉ॰ रणजीत कुमार सिंह ( IAS) ने युवाओं को संबोधित करते हुए विवेकानंद जी की बातों को कहा “उठो जागो और तब तक आगे बढ़ो, जब तक अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर लो” विवेकानंद की ये बातें आज भी युवाओं के लिए प्रासंगिक है। आज का युवक शॉर्टकट में ही सबकुछ हासिल करना चाहता है। वह बहुत जल्द ही अपने को थका हारा महसूस करता है। स्वामी विवेकानंद जी की एक संजीवनी विचार जो पूरे युवाओं को अपने अंदर आत्मसात करने की जरूरत है | युवावस्था में असीम शक्ति है जो विवेकानंद जी ने साक्षात दिखाया जिन्होंने कोलकाता से लेकर शिकागो धर्म सम्मेलन के साथ पूरे विश्व को बताया कि “शक्ति ही जीवन है और निर्बलता ही मृत्यु है” इसका तात्पर्य यह है कि हमारे अंदर ऊर्जा की कमी नहीं है, हम स्वयं ऊर्जा की भंडार है किन्तु हम ऊर्जा अपने अंदर अध्यात्म और भारतीय संस्कृति के माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं, जो पूरे विश्व को एक अलग ही प्रेरणा देता है। इस कथन को सूत्रवाक्य के रूप में अपनाया जा सकता है।
वहीं श्री मिथलेश मिश्र जी (अतिरिक्त सचिव , वित्त विभाग बिहार) ने युवाओं को संबोधित करते हुए विवेकानंद जी के बातों को कहा कि “ कोई भी लक्ष्य मनुष्य के साहस से बड़ा नहीं , हारा वही जो लड़ा नही ” वर्तमान समय में युवा अपने लक्ष्य से भटक जा रहे हैं, उनका मन अपने लक्ष्य पर केन्द्रित न होकर बाहर के आकर्षण पर केन्द्रित होता है | मनुष्य का एक प्रवृति है कि वे दूसरों के आकर्षण और चक्का-चौंध में लिप्त होकर अपने कर्तव्य से विमुख हो जाता है | मनुष्य की सफलता और असफलता के बीच का अंतर उसके मन में समावेशित विचार है एवं मन के भटकाव का कारण भी स्वयं का विचार है| यहाँ बैठे सभी युवा साथी स्वामी विवेकानंद जी के श्रेष्ठ विचारों को अपने अंदर आत्मसात करें तो वो अपने –अपने क्षेत्रों में जरूर सफल होंगे |
इसके पश्चात मौके पर उपस्थित प्रातीय युवा प्रकोष्ठ के संचालक श्री मनीष कुमार ने युवाओं से कहा कि “विवेकानंद ने कभी कहा था की यदि उन्हें एक सौ युवा मिल जाए, तो वे अपने देश के साथ ही पूरी दुनिया की दिशा और दशा दोनों बदल कर रख सकते हैं। लेकिन आज युवाओं को अपने आत्मविश्वास को जगाना होगा और विवेकानंद के पद चिन्हों पर चलना होगा। आज के युवाओं को विवेकानंद के आदर्शो से सीख लेनी चाहिए। प्रातीय युवा प्रकोष्ठ विगत 28 वर्षों से विवेकानंद जैसे महापुरुषों के विचारों को जन-जन तक फैलाने का कम कर रहा है। संस्कृति के बिना प्रगतिशील जीवन में भी संतुष्टि नहीं आ सकती है। गायत्री परिवार आत्मज्ञान और संस्कारों की शिक्षा दे रहा है, इसके माध्यम से ही समाज में फैली हुई कुरीतियों को दूर किया जा सकता है और युवाओं के माध्यम से भारत को दुनिया का सिरमौर बनाया जा सकता है, विवेकानंद की तरह कर्मठी, दृढ निश्चयी और मानसिक रूप से मजबूत बनाने के लिए युवाओं को आग्रह किया। साथ ही इस बात को दुहराया कि ‘जैसा खाए अन्न वैसा बने मन’ अतः युवा अपने खान पान को ठीक कर ले तो उनका चेहरा भी विवेकानंद की तरह चमकदार होगा।