लड़की है तू,
ये सोच कर झुका मत कर।
निडर होकर बोल अपनी बात को,
किसी से डरा मत कर।
अबला नहीं है तू,
अपने हक के लिए लड़ रुका मत कर।
क्योंकि तू ही जननी,
तू ही अन्नपूर्णा,
तू ही शिव-शक्ति,
तू ही जगदम्बा,
करती रक्त-बीजों का विनाश
तू अपने रौद्र रूप में आकर।
बना अपनी एक अलग पहचान,
खुद में आत्मविश्वास जगाकर।
कमजोर नहीं है तू,
इसलिए सिर झुका कर नहीं
सिर उठा के जिया कर।
लड़की है तू,
ये सोच कर झुका मत कर।।
- सोनल ओमर
सुंदर भवन 27, सचेंडी, कानपुर, उत्तर प्रदेश,