सात साल से कम सजा के मामले में अभियुक्तों को सीधे गिरफ्तार करने से बचे-डीजीपी ।। InquilabIndia

सात साल से कम सजा के मामले में अभियुक्तों को सीधे गिरफ्तार करने से बचे-डीजीपी ।। InquilabIndia

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अमरजीत सिंह संवाददाता भागलपुर/ पटना

पटना। बिहार पुलिस मुख्यालय गिरफ्तारी को लेकर विस्तृत गाइडलाइन जारी किया है। डीजीपी एस के सिंघल ने इस संबंध में सभी एसपी, डीआईजी और आईजी को पत्र भेजकर गाइडलाइन पालन करने का निर्देश दिया है। डीजीपी ने अपने आदेश में कहा है कि गिरफ्तारी के समय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41B, 41C, 41D, 45, 46, 50, 60 और 60 ए का सम्यक अनुपालन अपरिहार्य है। सभी पुलिस अधिकारी उक्त प्रावधानों का अनुपालन सुनिश्चित कराएं। डीजीपी ने अपने आदेश में कहा है कि पुलिस द्वारा बिना वारंट गिरफ्तार करने की शक्ति संबंधी प्रावधान धारा-41 दंड प्रक्रिया संहिता में अधिनियम 2008 एवं दंड प्रक्रिया संहिता अधिनियम 2010 के माध्यम से संशोधन हुए थे, जो 1 नवंबर 2010 एवं 2 नवंबर 2010 से प्रभावी हुए। सर्वोच्च न्यायालय ने 7 मई 2021 को पारित न्यायादेश में कुछ आदेश दिए हैं जो निम्नलिखित है। धारा 498 ए आईपीसी तथा 7 वर्ष से कम कारावास के मामले में अभियुक्तों को सीधे गिरफ्तार करने के बजाय पहले धारा 41 दंड प्रक्रिया संहिता के प्रावधानों के तहत गिरफ्तारी की आवश्यकता के संबंध में पुलिस अधिकारी संतुष्ट हो लेंगे। सभी पुलिस अधिकारी धारा 41 के प्रावधानों के अनुपालन में चेक लिस्ट प्रयोग करते हुए संतुष्ट होकर ही अभियुक्त की गिरफ्तारी करेंगे। तीसरा प्रावधान है कि धारा 41 के विभिन्न उक्त उपधारा के प्रावधानों के तहत पुलिस द्वारा अगर किसी अभियुक्त की गिरफ्तारी आवश्यक नहीं समझी जाए तो प्राथमिकी अंकित होने के 2 सप्ताह के भीतर संबंधित न्यायालय को ऐसे अभियुक्तों का विवरण भेज दें। 2 सप्ताह की अवधि पुलिस अधीक्षक द्वारा बढ़ाई भी जा सकती है। दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41ए के तहत उपस्थिति का नोटिस प्राथमिकी अंकित होने के 2 सप्ताह के भीतर तमिला करा देना है। 2 सप्ताह की अवधि पुलिस अधीक्षक द्वारा वाजिब कारण के साथ बढ़ाई जा सकती है ।
इन निर्देशों का पालन करने में असफल रहने वाले पुलिस अधिकारी विभागीय कार्यवाही के साथ-साथ न्यायालय की अवमानना के दंड के भागी होंगे।

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