श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान महायज्ञ के चौथे दिन कृष्णावतार पर श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़।।

IMG 20230217 WA0077

श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान महायज्ञ के चौथे दिन कृष्णावतार पर श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़।।

घंटों श्रद्धालु भागवत कथा का गंगा में लगाते रहे डुबकियां

श्रवण आकाश, खगड़िया

खगड़िया जिला के परबत्ता प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत सियादतपुर अगुवानी पंचायत की डुमरिया बुजुर्ग गांव अवस्थित भगवती मंदिर परिसर में सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान महायज्ञ का भव्य आयोजन किया जा रहा हैं, जहां श्रद्धा एवं भक्ति की सरिता जोरों से प्रवाहित हो रही है। वहीं इस आयोजन में डुमरिया बुजुर्ग समेत आसपास के कई गांवों जैसे खीराडीह,बबराहा, श्रीरामपुर ठुठ्ठी, अगुवानी आदि गांवों से भी श्रद्धालु भागवत कथा का श्रवण करने पहुंच रहे हैं। श्रीमद्भागवत कथा स्थल पर भव्य पंडाल बनाए गए हैं। वहीं श्रद्धालुओं के सेवार्थ हेतु विभिन्न आवश्यक बिन्दुओं पर स्वयंसेवक मौजूद दिखें। वहीं गुरुवार को चौथे दिन श्रीमद् भागवत कथा के दौरान घंटों श्रद्धालु श्रद्धा के सागर में डुबकी लगाते रहे।

IMG 20230217 WA0076
श्रद्धालु

वहीं कथा वाचक डॉ शिवयोगी ब्रह्मऋषि राष्ट्रीय संत डाक्टर दुर्गेशाचार्य जी महाराज ने कहा कि जीव का धर्म परमात्मा को पाना है, हमलोग चौरासी लाख योनियों से प्रभु पाने के लिए भटक रहे हैं, किंतु आज वह सौभाग्य हमे मनुष्य योनि में सुलभ हो गया है। हम अपने बच्चों को संस्कारित करें। उनके नाम को प्रभु के नाम से रखें और उनके नाम से प्रभु को पुकारना बैकुंठ धाम में रहने के समान है। इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि आज असुरी वृत्ति वृत्रासुर रुपी मद्य पान, मांसाहारी भोजन ग्रहण करने बिल्कुल प्रभु को नापसंद और मानव धर्म से परे है। मानव जीवन का एकमात्र उद्देश्य प्रभु को पाना है। जिसके लिए विभिन्न अवगुणों को त्यागने परम आवश्यक है। समाज में प्रेम सद्भाव समरसता के साथ ही साथ अच्छे संस्कार को बढ़ावा देने हीं बैकुंठ धाम में रहने समान है। अंततः उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान महायज्ञ का लक्ष्य समाज में प्रेमावतार कृष्ण और मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम को धरातल पर लाना है। कथा के चौथे दिन कृष्णावतार पर सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ देखी गई। मंच समेत पंडाल के चारों ओर रंग बिरंगे गुब्बारे व विभिन्न सजावटी सामान के साथ चहुं ओर दृश्य मनोरम बन पड़े थे। वहीं कथा में राजस्थान से आए गंगा पुत्र व गायक चंदन परिहार के भजनों की प्रस्तुति से मौजूद दर्शक तालियां बजा झुमते नजर आए। जहां तबला वादक उत्तराखंड के पंकज नोटियार थे।

IMG 20230217 WA0078

वहीं आयोजक सतीश मिश्रा ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा सुनना और सुनाना दोनों ही मुक्तिदायक हैं तथा आत्मा को मुक्ति का मार्ग दिखाती है। भागवत पुराण को मुक्ति ग्रंथ कहा गया है। इसलिए अपने पितरों की शांति के लिए इसे हर किसी को आयोजित कराना चाहिए। इसके अलावा रोग-शोक, पारिवारिक अशांति दूर करने, आर्थिक समृद्धि तथा खुशहाली के लिए इसका आयोजन किया जाता है। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा जीवन-चक्र से जुड़े प्राणियों को उनकी वास्तविक पहचान करता है। आत्मा को अपने स्वयं की अनुभूति से जोड़ता हैं। सांसारिक दुख, लोभ-मोह- क्षुधा जैसी तमाम प्रकार की भावनाओं के बंधन से मुक्त करते हुए नश्वर ईश्वर तथा उसी का एक अंश आत्मा से साक्षात्कार कराता है।

ALSO READ…… पुर्तगाल, चीन और पाकिस्तान को परास्त करनेवाले एकमात्र योद्धा जनरल सगत सिंह कि कहानी।। InquilabIndia

इसके अलावा ग्रामीण अभिषेक कुमार, अनिल कुमार, विनय चौधरी, रजनीश चौधरी, त्रिपुरारी सिंह और अंकुर चौधरी, बालमुकुंद महंथ,मुरारी मिश्र, नवनीत मिश्रा आदि ने कहा कि इस कलयुग में मनुष्य अपने भावों को सत्संग के जरिए ही स्थिर रख सकता है। सत्संग के बिना विवेक उत्पन्न नहीं हो सकता और बिना सौभाग्य के सत्संग सुलभ नहीं हो सकता। इस संसार में जो भगवान का भजन न कर सके, वह सबसे बड़ा भाग्यहीन है। भगवान इस धरती पर बार-बार इसलिए आते हैं ताकि हम कलयुग में उनकी कथाओं में आनंद ले सकें और कथाओं के माध्यम से अपना चित्त शुद्ध कर सकें। व्यक्ति इस संसार से केवल अपना कर्म लेकर जाता है। इसलिए अच्छे कर्म करो। श्रीमद् भागवत कथा का सात दिनों तक श्रवण करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप धुल जाते हैं। भगवान के चरणों में जितना समय बीत जाए, उतना अच्छा है। इस संसार में एक-एक पल बहुत कीमती है। मौके पर दर्जनों बालक बालिकाओं व युवा कार्यकर्ताओं और सैकड़ों श्रद्धालु गण मौजूद थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *