
साहित्य


बेटी बन जो आई मैं इस दुनिया में
बेटी बन जो आई मैं इस दुनिया मेंऐसा लगा पराई हूं मैं अपने ही घर में।सबने नाक और मुंह क्या…

बीत गया है बुरा जमाना
बीत गया है बुरा जमाना ,जब नारी शोषित होती थी ,ढोल,गंवार ,शुद्र ,पशु जैसी ,नारी प्रताड़ित होती थी ।कहलाती थी…

सावन में सोलह सिंगार पिया का इंतजार
लघु कथा अरे ऋतू दी !आप अभी तक तैयार नहीं हुई,चलिए न जल्दी से तैयार हो जाइयेमंदिर चलना है ,और…

पायल में समन्वय-मंत्र
पायल की रुनझुन में, युग-मर्यादाके लिए मां सीता की स्वीकार्यता है. पायल की छम-छम में, कृष्ण-भक्तिभावयज्ञ की राधा-नाम चरितार्थता है….

अंगूर खट्टे हैं, “औकात” से बाहर भी: एक सत्य घटना
लेखक: डॉ सत्यप्रकाश आज अपने पास की एक हॉट में जाना हुआ, धर्मपत्नी जी के साथ सुबह सुबह… मेरी दिनचर्या…

कभी धूप कभी छाँव
सुख दुःख है जीवन में ऐसे,जैसे होते धूप और छाँव।कभी मिलती मरहम ख़ुशियों की,तो कभी ग़मों के मिलते घाव।पर न…

कौन है जो कातिल बनाने में लगा है
कौन है जो कातिल बनाने में लगा हैकौन है जो मुझे आजमाने में लगा है। वक्त का रेत फिसलते चला…
उठे स्वप्न छोड़ दी नाव समंदर में बस उड़ानें पाने के लिए
उठे स्वप्न छोड़ दी नाव समंदर में बस उड़ानें पाने के लिएखोज ली डूबके मोती समंदर से थाह ली जमाने…