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BJP कार्यकर्त्ताओं ने अपने अपने आवास पर ही PM NARENDRA MODI के MANKIBAAT कार्यक्रम को सुना।

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भागलपुर भाजपा जिलाध्यक्ष रोहित पांडेय के आग्रह पर कार्यकर्त्ताओं ने अपने अपने आवास पर ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात कार्यक्रम को सुना। प्रधानमन्त्री ने रविवार को अपने रेडियो प्रोग्राम मन की बात के जरिए देश को संबोधित किया। इसमें उन्होंने नदियों के महत्व, पानी बचाने की जरूरत, आत्मनिर्भर भारत, किसानों के इनोवेशन और आने वाली परीक्षाओं का खासतौर पर जिक्र किया। मोदी ने कहा कि आने वाले महीनों में ज्यादातर युवा साथियों की परीक्षाएं होंगी। आप सबको याद है ना वॉरियर बनना है, वरीयर नहीं। हंसते हुए एग्जाम देने जाना है और मुस्कुराते हुए लौटना है। किसी और से नहीं, अपने आप से स्पर्धा करनी है। पर्याप्त नींद लेनी है और टाइम मैनेजमेंट भी करना है। खेलना नहीं छोड़ना है। क्योंकि जो खेले वो खिले। इन एग्जाम में अपने बेस्ट को बाहर लाना है।

प्रधानमन्त्री के भाषण की खास बातों में पानी बचाने के लिए सौ दिन का अभियान शुरू करें।
भारत के ज्यादातर हिस्सों में मई-जून में बारिश शुरू होती है। क्या हम अभी से अपने आसपास के जलस्रोतों की सफाई के लिए, वर्षा जल के संचयन के लिए 100 दिन का कोई अभियान शुरू कर सकते हैं। इसी सोच के साथ जल शक्ति मंत्रालय जल शक्ति अभियान ‘कैच द रैन’ शुरू करने जा रहा है। इस अभियान का मूल मंत्र है ‘कैच द रैन, व्हेयर इट फॉल्स, व्हेन इट फॉल्स।
देश के युवा संत रविदास से सीखें
हमारे युवाओं को संत रविदास से एक बात जरूर सीखनी चाहिए। उन्हें कोई भी काम करने के लिए खुद को पुराने तौर-तरीकों में बांधना नहीं चाहिए। आप अपने जीवन को खुद ही तय करिए। कई बार हमारे युवा चली आ रही सोच के दबाव में वह काम नहीं कर पाते, जो उन्हें पसंद होता है। आपको कभी भी नया सोचने, नया करने में संकोच नहीं करना चाहिए। देश के वैज्ञानिकों के बारे में जानें आज ‘नेशनल साइंस डे’ भी है। आज का दिन भारत के महान वैज्ञानिक, डॉक्टर सी.वी. रमन जी द्वारा की गई ‘रमन इफेक्ट’ खोज को समर्पित है।
हम जैसे दुनिया के दूसरे वैज्ञानिकों के बारे में जानते हैं, वैसे ही, हमें भारत के वैज्ञानिकों के बारे में भी जानना चाहिए।
साइंस को लैब टु लैंड के मंत्र के साथ आगे बढ़ाना होगा
जब हम साइंस की बात करते हैं तो कई बार इसे लोग फिजिक्स -कैमिस्ट्री या फिर लैब्स तक ही सीमित कर देते हैं, लेकिन साइंस का विस्तार तो इससे कहीं ज्यादा है। आत्मनिर्भर भारत अभियान में साइंस की शक्ति का बहुत योगदान भी है। हमें साइंस को लैब टु लैंड के मंत्र के साथ आगे बढ़ाना होगा।
आत्मनिर्भरता की पहली शर्त, देश की चीजों पर गर्व होना
आत्मनिर्भर होने का अर्थ है कि अपनी किस्मत का फैसला खुद करना, यानि स्वयं अपने भाग्य का नियंता होना। आत्मनिर्भरता की पहली शर्त होती है अपने देश की चीजों पर गर्व होना, अपने देश के लोगों द्वारा बनाई वस्तुओं पर गर्व होना। जब प्रत्येक देशवासी गर्व करता है, प्रत्येक देशवासी जुड़ता है, तो आत्मनिर्भर भारत सिर्फ एक आर्थिक अभियान न रहकर एक नेशनल स्पिरिट बन जाता है।
आत्मनिर्भर भारत का मंत्र गांव-गांव तक में पहुंच गया है।
ऐसा ही नहीं है कि बड़ी-बड़ी चीजें ही भारत को आत्मनिर्भर बनाएंगी, भारत में बने कपड़े, भारत के टैलेंटेड कारीगरों द्वारा बनाया गया हैंडीक्राफ्ट का सामान, भारत के इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, भारत के मोबाइल, हर क्षेत्र में, हमें इस गौरव को बढ़ाना होगा। जब हम इसी सोच के साथ आगे बढ़ेंगे, तभी सही मायने में आत्मनिर्भर बन पाएंगे।
एक कमी रही कि तमिल नहीं सीख पाया हैदराबाद की अपर्णा रेड्डी ने मुझसे पूछा कि आप इतने साल से पीएम हैं, इतने साल सीएम रहे, क्या आपको कभी लगता है कि कुछ कमी रह गई। मैंने इस सवाल पर विचार किया और खुद से कहा मेरी एक कमी ये रही कि मैं दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा तमिल सीखने के लिए बहुत प्रयास नहीं कर पाया, मैं तमिल नहीं सीख पाया।
अलग तरीके से खेती कर रहे किसानों की तारीफ हैदराबाद के चिंतला वेंकट रेड्डी को डॉक्टर ने विटामिन-डी की कमी से होने वाली बीमारियों और इसके खतरों के बारे में बताया था। इसके बाद उन्होंने गेहूं चावल की ऐसी प्रजातियां विकसित कीं जो विटामिन-डी से युक्त हैं। इसी महीने उन्हें वर्ल्ड इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी ऑर्गेनाइजेशन, जेनेवा से पेटेंट मिला है। वेंकट रेड्डी को पिछले साल पद्मश्री से भी सम्मानित किया था।
लद्दाख के उरगेन फुत्सौग भी बहुत इनोवेटिव तरीके से काम कर रहे हैं। उरगेन इतनी ऊंचाई पर ऑर्गेनिक तरीके से खेती करके करीब 20 फसलें उगा रहे हैं वो भी साइक्लिक तरीके से, यानी वो एक फसल के वेस्ट को, दूसरी फसल में खाद के तौर पर, इस्तेमाल कर लेते हैं।
गुजरात के पाटन जिले में कामराज भाई चौधरी ने घर में ही सहजन के अच्छे बीज विकसित किए हैं। सहजन को कुछ लोग सर्गवा बोलते हैं, इसे मोरिंगा या ड्रम स्टिक भी कहा जाता है। अच्छे बीजों की मदद से जो सहजन पैदा होता है, उसकी क्वालिटी भी अच्छी होती है। अपनी उपज को वो अब तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल भेजकर अपनी आय भी बढ़ा रहे हैं। इस बात की जानकारी जिला मीडिया प्रभारी इंदु भूषण झा ने दी।

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