टीबी की रोकथाम के लिए लगा जागरूकता शिविर।
अकसर टीबी का समय पर पता नहीं चल पाता है। इसकी वजह है कि लोग इसके बारे में जागरूक नहीं हैं और इसके लक्षणों को लंबे समय तक नजरअंदाज करते रहते हैं। ऐसे में लोगों को टीबी के बारे में जानकारी होना बेहद जरूरी है। इसी को ध्यान में रखते हुए बिहार स्वास्थ्य विभाग, के. एच.पी.टी, केयर इंडिया,WHP एवं जिला यक्षमा केंद्र के सहयोग से टीबी जन आंदोलन के तहत शनिवार को पुनरीक्षित राष्ट्रीय यक्ष्मा नियंत्रण कार्यक्रम,CHC जगदीशपुर, भागलपुर मे आयोजन हुआ।
डॉ आशुतोष कुमार… (MOIC )ने लोगों से अपील किया कि अगर आपके घर में आपके आसपास कोई भी टीबी के लक्षण का व्यक्ति हो तो तुरंत उसकी जांच नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में कराएं। टीवी का इलाज संभव है और मरीज अगर नियमित और संपूर्ण इलाज करें तो वह पहले जैसा फिर से स्वस्थ जीवन व्यतीत कर सकता है।
2 हफ्ते से ज्यादा खांसी , बुखार आना, वजन में तेजी से कमी आना सीने में दर्द या खखार में खून आना यह टीवी के लक्षण है इसे नजरअंदाज बिल्कुल ना करें। ट्यूबरकोलॉसिस एक संक्रामक रोग है। टीबी का बैक्टीरिया सांस से फैलता है। यह छींकने या खांसने पर मुंह से निकले कणों से भी फैलता है। एक समय था जब अपने देश में टीबी लाइलाज बीमारी थी लेकिन अब इसका इलाज संभव है। सही समय पर पूरा इलाज कराने से टीबी पूरी तरह से ठीक हो जाती है। ऐसे में टीबी डायग्नॉज होने पर घबराने की जरूरत नहीं है।
टीबी का इलाज पूरी तरह मुमकिन है। सरकारी अस्पतालों और डॉट्स सेंटरों में इसका फ्री इलाज होता है। सबसे जरूरी है कि इलाज टीबी के पूरी तरह ठीक हो जाने तक चले। बीच में छोड़ देने से बैक्टीरिया में दवाओं के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है और इलाज काफी मुश्किल हो जाता है क्योंकि आम दवाएं असर नहीं करतीं।
इस जागरूकता शिविर में पप्पू साहा (जगदीशपुर मुखिया) DR.संजय,अनुरिमा कुमारी (BHM) Care India से Dr. Ninkush Aggarwal(DTL) के.एच.पी.टी संस्था से आरती झा (District lead), रितिका कुमारी (STS),मोहम्मद फैयाज खान(CC), सुमित कुमार( CC), रामस्वरूप भारती( DOTS PROVIDER),गौतम कुमार चौबे (WHP),आदि उपस्थित रहे और लोगों को जागरूक किया।