नवगछिया अनुमंडल क्षेत्र में अवैध आरा मिलों का संचालन धड़ल्ले से हो रहा है, जिससे न केवल पर्यावरण को गंभीर क्षति पहुंच रही है, बल्कि सरकारी राजस्व को भी भारी नुकसान हो रहा है। वन विभाग और पुलिस की मिलीभगत ने इस समस्या को और गहरा बना दिया है।
क्षेत्र में लगभग 32 अवैध आरा मिलें चल रही हैं, जबकि 18-20 वैध मिलें पहले से ही स्थापित हैं। ये अवैध मिलें बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई कर लकड़ी का व्यापार कर रही हैं, जिससे वन क्षेत्र तेजी से कम हो रहे हैं। बिहपुर और गोपालपुर प्रखंड अवैध आरा मिलों का गढ़ बन चुके हैं, जहां 21 से अधिक मशीनें सक्रिय हैं। अन्य क्षेत्रों में भी ढोलबज्जा, कदवा, रँगरा, और इस्माइलपुर जैसे इलाकों में अवैध मिलें मौजूद हैं।
प्रशासनिक निष्क्रियता
वन विभाग द्वारा इन मिलों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के बावजूद पुलिस की निष्क्रियता इन मिल संचालकों के हौसले बुलंद कर रही है। 2021 में एक बड़ी कार्रवाई के दौरान बिहपुर में पुलिस टीम पर हमले के बाद से कार्रवाई लगभग ठप है।
कोर्ट का आदेश भी बेअसर
पटना उच्च न्यायालय ने पेड़ों की कटाई रोकने और अवैध आरा मिलों पर कार्रवाई का सख्त निर्देश दिया था, लेकिन प्रशासन इस पर प्रभावी कदम उठाने में विफल रहा है।
अधिकारियों का पक्ष
जिला वन प्रमंडल पदाधिकारी (डीएफओ) श्वेता कुमारी का दावा है कि जल्द ही कार्रवाई की जाएगी, लेकिन जमीन पर इसके कोई संकेत नहीं दिखते।
समाधान की राह
यह स्पष्ट है कि वन विभाग और पुलिस की ढील के चलते अवैध आरा मिलों का यह व्यापार फल-फूल रहा है। ऐसे में जिला प्रशासन को तत्काल कदम उठाने चाहिए। पेड़ों की अंधाधुंध कटाई न केवल पर्यावरणीय असंतुलन का कारण बन रही है, बल्कि भविष्य के लिए भी गंभीर खतरा पैदा कर रही है।