तेरी आशिकी में जाना तुम्हें गजल लिख रहा हूं

तेरी आशिकी में जाना तुम्हें गजल लिख रहा हूं।तेरी सूरत को सारे सहर में वज्म में लिख रहा हूं। दिल में आज भी हम तुम्हें बसाए हुए बैठे सभीतेरी सवाब का नशा लिए मैं सजल लिख रहा हूं। मेरी मुकद्दर हो तुम जान लो मेरी बात सुन लेप्रेम मिलन किस्से फिरसे मैं जुगल लिख रहा…

तेरी आशिकी में जाना तुम्हें गजल लिख रहा हूं।
तेरी सूरत को सारे सहर में वज्म में लिख रहा हूं।

दिल में आज भी हम तुम्हें बसाए हुए बैठे सभी
तेरी सवाब का नशा लिए मैं सजल लिख रहा हूं।

मेरी मुकद्दर हो तुम जान लो मेरी बात सुन ले
प्रेम मिलन किस्से फिरसे मैं जुगल लिख रहा हूं।

सेहरा बांध लिया तेरे नाम का समझ तुम इसे
आशिकी इश्क हुस्न सवाब सगल लिख रहा हूं।

सफाक़ तेरा सुंदर बदन मेरी आशिकी का नूर
हुस्न की इबादत बस एक नकल लिख रहा हूं।

तुम्हें लगे तो ठहर जाना मेरे दिल में बसा के घर
जन्नत छोड़ डूबी मैंकदा में जगल लिख रहा हूं।

तेरा हुस्नो शबाब डूबे मैंंकदा रिंद में सभी”केएल’
ना इतरा हुस्न शबाब पर एक पहल लिख रहा हूं।

लेखन ✍️✍️✍️

के एल महोबिया
अमरकंटक अनूपपुर मध्यप्रदेश

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