भूल रहे क्यों उस माटी को

कहाँ छुपी मुरली तेरी गोपाल सुरमयी तान कहाँआज कोकिला है उदास क्यों खोया मधुरिम गान कहाँमंदिर-मस्जिद-गुरुद्वारोंमें निराकार क्यों बंद हुआउसके ही आकारोंमें क्यों भेदभाव स्वच्छंद हुआक्या जंजीरें काट भुजाएं माताको स्वाधीन कहाफिर माथे क्यों चढ़ा विभाषा निज भाषाको दीन कहाशिक्षा-दीक्षामें उन्नति तो प्रतिभाका निर्यात क्योंकर ली हमने बिसर अस्मिता त्रासदियाँ आयात क्योंज्ञान ध्यान विज्ञानमें चर्चित…

नन्दकुमार आदित्य

कहाँ छुपी मुरली तेरी गोपाल सुरमयी तान कहाँ
आज कोकिला है उदास क्यों खोया मधुरिम गान कहाँ
मंदिर-मस्जिद-गुरुद्वारोंमें निराकार क्यों बंद हुआ
उसके ही आकारोंमें क्यों भेदभाव स्वच्छंद हुआ
क्या जंजीरें काट भुजाएं माताको स्वाधीन कहा
फिर माथे क्यों चढ़ा विभाषा निज भाषाको दीन कहा
शिक्षा-दीक्षामें उन्नति तो प्रतिभाका निर्यात क्यों
कर ली हमने बिसर अस्मिता त्रासदियाँ आयात क्यों
ज्ञान ध्यान विज्ञानमें चर्चित कितने अनुसंधान किये
क्या विकसे उत्तुंग शिखर-सम कर विनाशके बाण लिये
फूलोंकी वादीमें क्योंकर कांटोंका व्यापार किया
पर्यावरण प्रदूषितकर क्यों नियति-नटी पर वार किया
कतरा-कतरा हिन्दुस्तानी कण-कण अपना भारत जब
बौराये सुखसे कोई क्यों कोई आहत आरत तब
शांति-एकताके नारोंमें मन भटका दिन- रात रहा
मानव-मानवमें समताकी दिखती पर है बात कहाँ
आडम्बर क्यों आज सभ्यता अधुनातन परिवेशमें
जीवन-मूल्योंका अवमूल्यन व्यापा देश-विदेशमें
मत्स्य-न्यायकी परिसीमामें जिजीविषा क्यों लगती व्यर्थ
भौतिकताकी भवबाधा क्या संस्कृति खोती जाती अर्ध
नापी व्योमोंकी सीमायें ध्वनि-गतिसे भी तेज उड़े
भूल रहे क्यों उस माटीको जिस पर पलकर हुए बड़े
# नन्दकुमार आदित्य #

सम्पर्क-सूत्र : नन्दकुमार मिश्र
कविवासर : ६०३/ए बालाजी जेनरोशिया , बाणेर
पुणे ४११०४५
चलभाष : ७४८८५३१९८८
सर्वाधिकार सुरक्षित @नकुमि
adityasamvedinkm @gmail.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *