खूबसुरत है नजारा
लग रहा है प्यारा
इस मिट्टी का कर्ज है
चुकाना हमारा प्फर्ज है
प्यारे गगन हमें निहारे
सिखा रहे कर्तव्य हमारे
ऊँचे हो मंतव्य हमारी
सूर्य किरणों सी सवारी
जग की तिमिर मिटाएँ
माँ अवनी को बचाएँ
मातृभूमि की सेवा कर
इन कर्जों से निजात पाएँ
माँ के प्रहरी बनकर आए
प्रेम आदर्श से धरा सजाएँ।
महकती सुगंध भरे हैं फूल
माँ की माला मोती बन जाएँ।
डॉ.इन्दु कुमारी
मधेपुरा बिहार
मिट्टी का कर्ज
खूबसुरत है नजारालग रहा है प्याराइस मिट्टी का कर्ज हैचुकाना हमारा प्फर्ज हैप्यारे गगन हमें निहारेसिखा रहे कर्तव्य हमारेऊँचे हो मंतव्य हमारीसूर्य किरणों सी सवारीजग की तिमिर मिटाएँमाँ अवनी को बचाएँमातृभूमि की सेवा करइन कर्जों से निजात पाएँमाँ के प्रहरी बनकर आएप्रेम आदर्श से धरा सजाएँ।महकती सुगंध भरे हैं फूलमाँ की माला मोती बन जाएँ।डॉ.इन्दु…
