पुवायांँ, शाहजहाँपुर। विश्व जल संरक्षण दिवस पर पेयजल संकट की समस्या पर चिंता व्यक्त करते हुए प्रकृति और पर्यावरण प्रेमी राष्ट्रवादी कवि प्रदीप बैरागी ने कहा कि पीने का जल पृथ्वी पर बहुत ही कम मात्रा में उपलब्ध है जल संरक्षण लिए पहले तालाबों और नदियों को बचाना होगा।
अभी हाल के दिनों में तालाब और नदियों पर बढ़ रहे अतिक्रमण और जल के अंधाधुंध अप्राकृतिक दोहन के कारण पैदा हो रही जल संकट की समस्या से जूझने के लिए हमें तैयार रहना होगा।
उन्होंने कहा कि जल संरक्षण जीवन के लिए अपरिहार्य है पृथ्वी पर सबसे बड़ी पेयजल की समस्या है।
क्योंकि पीने योग्य जल बहुत ही कम मात्रा में उपलब्ध है बड़े-बड़े शहरों में तो प्रदूषित जल को ही शुद्ध करके बोतलों में भरा जाता है और उसी को पीने में धड़ल्ले से प्रयोग किया जा रहा है।
पेयजल की बढ़ते संकट को देखते हुए हमें समाज के हर वर्ग को जागरूक करना होगा ।
कलकारखानों से निकलने वाले नालों के नदियों में मिलने से जहरीले रासायनिक पदार्थ सीधे पेयजल में मिल जाते हैं और जल को बुरी तरह से प्रदूषित कर देते हैं ।
जिससे पेयजल संकट की भयावह स्थिति खड़ी हो रही है। ग्रामीण अंचलों में तालाबों को पाटकर आवास और कृषि कार्यों में उपयुक्त करने से जल संरक्षण का संकट खड़ा हो गया है।
वर्षा ऋतु में बारिश के पानी को संरक्षण करके भी जल संरक्षण को बढ़ावा दिया जा सकता है। इसके लिए नए वैज्ञानिक उपायों पर शोध की महती आवश्यकता है।
किसी ने सच ही कहा है कि जल है तो कल है।
आओ विश्व जल संरक्षण दिवस पर हम सब जल संरक्षण का संकल्प लें।