भक्ति गीत : शक्ति की जय जयकार

 

“या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।“

हे शक्ति महारानी, तेरी महिमा है अपरंपार,
चारों ओर हो रही है, तेरी ही जय जयकार।
तेरे चरणों में समर्पित लगती सारी दुनिया,
सुन लो सुन लो भवानी, भक्तों की पुकार।
हे दुर्गा महारानी……….

तेरे बिना सारा संसार लगता रहता है सूना,
तेरे आने से आनंद बढ़ जाता है कई गुना।
जब चमकती है हवा में मैया, तेरी तलवार,
असुरी शक्तियां देखते ही, मान जाती हार।
हे दुर्गा महारानी……….

माता रानी हर रूप तेरा लगता है अलबेला,
तेरे दर पे आया, कोई लगता नहीं अकेला।
महाकाली रूप में जब प्रकट होती हो मैया,
पाप अधर्म के खेमे में, मच जाता हाहाकार।
हे दुर्गा महारानी……….

देखने में माता तुम, एक साधारण नारी हो,
क्रोध आ गया तो, तीनों लोक पर भारी हो।
अर्चना जिसकी तुम, स्वीकार कर लेती हो,
उसके जीवन के सपने, हो जाते हैं साकार।
हे दुर्गा महारानी…………

प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।

सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)

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