बिहार में राज्य सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अनुपालन करने से नगर निकाय चुनाव पर लगी रोक

बिहार में राज्य सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अनुपालन करने हेतु नगर निकाय चुनाव पर लगी रोक ।। Inquilabindia

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श्रवण आकाश (पटना, बिहार) की कलम से

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बिहार में चल रहे नगर निकाय चुनाव को लेकर पटना हाईकोर्ट का इस वक्त बड़ा फैसला आया हैं। जहां पटना हाईकोर्ट ने राज्य में चल रहे निकाय चुनाव पर रोक लगा दिया हैं। पटना हाईकोर्ट ने कहा है कि बिहार सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग ने पिछड़ों को आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया था। जिसको लेकर हाईकोर्ट ने सबसे ज्यादा नाराजगी राज्य निर्वाचन आयोग पर जतायी है। मालूम हो कि राज्य निर्वाचन आयोग ही नगर निकाय चुनाव करा रहा है। हाईकोर्ट ने कहा है कि बिहार का राज्य निर्वाचन आयोग अपने संवैधानिक जिम्मेवारी का पालन करने में विफल रहा। जिसके कारण नगर निकाय चुनाव में रोक लगी हैं।

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बता दें कि पटना हाईकोर्ट ने निकाय चुनाव में पिछड़ों को आरक्षण को लेकर दायर याचिका पर 29 सितंबर को सुनवाई पूरी कर ली थी। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को इस मामले में जल्द सुनवाई कर फैसला सुनाने को कहा था। जहां आज पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय करोल और एस. कुमार की बेंच ने अपना फैसला दे दिया है। हाईकोर्ट की बेंच ने कहा है कि स्थानीय निकाय चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही जो आदेश दिया था, उसका बिहार में पालन नहीं किया गया। जिसको लेकर अति पिछड़ों के आरक्षण पर तत्काल रोक लगा दी गई है। अथवा हाईकोर्ट ने निकाय चुनाव में अति पिछड़ों के आऱक्षण पर तत्काल रोक दिया है। कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग से कहा है कि वह सुप्रीम कोर्ट द्वारा पिछड़ों के आरक्षण के लिए तय ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया पूरी नहीं की। बता दें कि स्थानीय निकाय चुनाव में आरक्षण दिये जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 2021 में फैसला सुनाया था कि स्थानीय निकायों में ओबीसी के लिए आरक्षण की अनुमति तब तक नहीं दी जा सकती, जब तक कि सरकार 2010 में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा निर्धारित तीन जांच की अर्हता पूरी नहीं कर लेती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने जो ट्रिपल टेस्ट का फार्मूला बताया था, उसमें उस राज्य में ओबीसी के पिछड़ापन पर आंकड़े जुटाने के लिए एक विशेष आयोग गठित करने और आयोग की सिफारिशों के मद्देनजर प्रत्येक स्थानीय निकाय में आरक्षण का अनुपात तय करने को कहा था। इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित करने को कहा था कि एससी, एसटी, ओबीसी के लिए आरक्षण की सीमा कुल सीटों का 50% की सीमा से ज्यादा नहीं हो। अंततः इस प्रकार से फिलहाल अति पिछड़े सीट सामान्य माने जायेंगे। पटना हाईकोर्ट ने कहा है कि जब तक बिहार सरकार सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया को पूरा नहीं कर लेती तब तक अति पिछडों के लिए आरक्षित सीट सामान्य माने जायेंग। राज्य निर्वाचन आयोग अति पिछड़ों के लिए आरक्षित सीटों को सामान्य घोषित कर चुनावी प्रक्रिया को फिर से शुरू कर सकता है। लेकिन अति पिछ़ड़ों को आरक्षण देने से पहले हर हाल मे ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया पूरी करनी होगी।

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हाईकोर्ट ने कहा है राज्य निर्वाचन आयोग या तो अति पिछड़ों के लिए आरक्षित सीटों को सामान्य करार देकर चुनावी प्रक्रिया आगे बढ़ाये या फिर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार ट्रिपल टेस्ट करा कर नये सिरे से आरक्षण का प्रावधान करे। होईकोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग के रवैये पर गहरी नाराजगी जतायी हैं। जहां कोर्ट ने कहा है कि राज्य निर्वाचन आयोग ने अपनी संवैधानिक जिम्मेवारी पूरी नहीं की।निर्वाचन आयोग हर बात के लिए राज्य सरकार पर निर्भर रहा। हाईकोर्ट ने पिछली तारीख पर ही कहा था कि निर्वाचन आयोग चुनाव के डेट को आगे बढ़ा सकता हैं, लेकिन आयोग ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की हैं।

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