पहली बार महसूस हुआ कि, किसी ने मुझको जाना है,
इस जन्म तो मुमकिन नहीं, पर अगले जन्म तुम्हें पाना है।
मन में कोई छल नहीं है, न ही कोई उम्मीद है बाकी,
मैं गीत लिखूं बस तेरे लिए, और तुझे पढ़ते जाना है।
तुम भी कभी कुछ लिख देना, जो तुम्हारे दिल में है,
कभी-कभी मुझको भी तो, गीत तेरा गुनगुनाना है।
एक खालीपन था जीवन में, छाई थी एक अज़ब उदासी,
तुमसे मिलकर ये जाना कि, जीवन एक तराना है।
ज़िंदगी की जद्दोजहद में, भूल गई थी अपना वुज़ूद,
तुमने मुझको याद दिलाया, मेरा भी एक ज़माना है।
तुम मेरे नहीं किसी और के हो, ये जानती हूं फिर भी,
देखकर तुमको यूं लगा, जैसे रिश्ता कोई पुराना है।
तेरे हर गीत मैं गाऊं, तुम मेरी हर ग़ज़लें पढ़ लेना,
इस प्यारे से रिश्ते को, उम्र भर यूं ही निभाना है।
——-रंजना लता
समस्तीपुर, बिहार