“”””””””” *नवरात्री का पर्व मनाऍं* “””””””””

“”””””””” *नवरात्री का पर्व मनाऍं* “”””””””” *विधा———-गीत* *मात्रा भार १६–१४* नव दुर्गा आई हैं चलकर , गीत उन्ही के सब गाओ । भक्ति भावना का यह पावन, पर्व मनाऍं सब आओ ।। ************* नौ रूपों में आई माता , हम सबको खुशियाॅं देने । अपने संतानों के उर से , कष्ट सभी वह हर लेने…

“”””””””” *नवरात्री का पर्व मनाऍं* “””””””””

*विधा———-गीत*

*मात्रा भार १६–१४*

नव दुर्गा आई हैं चलकर ,
गीत उन्ही के सब गाओ ।
भक्ति भावना का यह पावन,
पर्व मनाऍं सब आओ ।।
*************

नौ रूपों में आई माता ,
हम सबको खुशियाॅं देने ।
अपने संतानों के उर से ,
कष्ट सभी वह हर लेने ।।
सुख करणी दुख हरणी माॅं के,
आज सभी दर्शन पाओ *
*भक्ति भावना का यह पावन, पर्व मनाऍं सब आओ*

जग से अत्याचार मिटाने,
रूप कई ले ‌ आती हैं ।
करुणाॅं की वह खान कभी तो,
रणचंडी बन जाती है ।।
और नहीं हैं कोई उनसा,
उनको कभी न बिसराओ*
*भक्ति भावना का यह पावन, पर्व मनाऍं सब आओ*

थर-थर कांपे सारे पापी,
माता की जब नाम सुनें ।
इनकी कृपा मिले तो सारे,
भक्त जनो के काम बने ।।
है भंडार भरा माता का,
उसमें से कुछ पा जाओ*
*भक्ति भावना का यह पावन, पर्व मनाऍं सब आओ*

दर्शन को उनके द्वारे पर,
भीड़ लगी है अब भारी ।
पूजन अर्चन वंदन करते,
सारे जग के नर नारी ।।
*राम*चरण में माॅं अम्बे की,
अपना शीश झुका जाओ*
*भक्ति भावना का यह पावन, पर्व मनाऍं सब आओ*

*रचयिता*

*रामसाय श्रीवास”राम”किरारी बाराद्वार*
( *छग* )

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