सम्मानित मंच नमन।
चित्राभिव्यक्ति।
विधा- मनहरण घनाक्षरी।
पूजन कलश धरे,
सुंदर श्रीफल सजे,
चहूँ ओर दीप जले
मंगल मनाइए।
दीप-दीप्ति फैल रही,
आम्र पत्र राज रहे,
घंटे चड़ियाल बजे,
आरती उतारिए।
चौकी छवि छाय रही,
माते दरवार सजी,
जन मन हर्ष भरे,
आप भी विराजिए।
झाँझ ढोल ढप बजें,
तबला मृदंग बजें,
गीत धुन साज सजे
आप अब गाइए।
सादर समीक्षार्थ।
हरिहर ‘सुमन’