मुझे हवाओं में बिखरने दो

विषय — मुझे हवाओं में बिखरने दो मुझे हवाओं में बिखरने दो अपनी करामत की खुशबू इन फिजाओं में फैलाने दो रोको मत हम दीवानों को। इंसानों से रूबरू हो जाने दो। देख ले उन दुख दर्द को जो हमने अभी देखा नहीं। उन एहसासों को हमें। अपनी लेखनी में पिरोने दो। अपनी मतवाली चाल…

डॉ.इन्दु कुमारी

विषय — मुझे हवाओं में बिखरने दो

मुझे हवाओं में बिखरने दो
अपनी करामत की खुशबू
इन फिजाओं में फैलाने दो
रोको मत हम दीवानों को।
इंसानों से रूबरू हो जाने दो।
देख ले उन दुख दर्द को
जो हमने अभी देखा नहीं।
उन एहसासों को हमें।
अपनी लेखनी में पिरोने दो।
अपनी मतवाली चाल में
उसे जीना सिखाना है।
जिसने जीने का मतलब
अभी तक समझा नहीं।
उन नारकीय जीवन से
ऊपर उन्हें हमें ले जाने दो।
मुझे हवाओं में बिखरने दो।
सुनसान पड़ी है वह गलियां
जहां जीवन की रोशनी से
जिंदगी अभी नहाई नहीं है
हमें रोशनी बन फैलाने दो।
उन हवाओं में मिलजाने दो
अपने प्रेम के तराने गाने दो।
मरणासन्न की अंतिम सांसे
इन हवाओं में ले पाए ।
रोको मत हम दीवाने हैं ।
मुझे हवाओं में बिखरने दो।
डॉ. इन्दु कुमारी
मधेपुरा बिहार

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