महाशिवरात्रि पर्व आज, कैसे मनायें महाशिवरात्रि ?

महाशिवरात्रि पर्व आज, कैसे मनायें महाशिवरात्रि ?

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आज बन रहे हैं ये दो श्रेष्ठ योग
महाशिवरात्रि पर्व आज यानी 11 मार्च को मनाया जाएगा। आज सुबह 09 बजकर 25 मिनट तक महान कल्याणकारी ‘शिव योग’ रहेगा। उसके बाद सभी कार्यों में सिद्धि दिलाने वाला ‘सिद्धयोग’ शुरू हो जाएगा। शिव योग में किए जाने वाले धर्म-कर्म, मांगलिक अनुष्ठान बहुत ही फलदायी होते हैं। इस योग के किये गए शुभकर्मों का फल अक्षुण्ण रहता है।

शिवरात्रि के दिन भूलकर भी ना करें ये काम
शिवरात्रि के दिन भूलकर भी माता-पिता, गुरूजनों,पत्नी, पराई स्त्री, बड़े-बुजुर्गों या पूर्वजों का अपमान नहीं करना चाहिए। उनके लिए गलती से भी मुख से अपशब्द नहीं निकालने चाहिए। मदिरा पान करना और दान की हुई चीजें या धन वापस लेना भी महापाप की श्रेणी में आता है।

समय के अनुसार पूजन श्रेयस्कर
प्रथम पहर सायंकाल 6:13 बजे
द्वितीय पहर रात्रि 9:14 बजे
तृतीय पहर मध्यरात्रि 12:16 बजे।
चतुर्थ पहर भोर 3:17 बजे।

निशीथ काल पूजा समय- रात 11:52 से रात 12:40 बजे तक।

बिल्वपत्र की तीन पत्तियों का महत्व
बिल्वपत्र या बेलपत्र में तीन पत्तियां एक साथ जुड़ी होती हैं। इन पत्तियों को अलग-अलग मत हैं। बिल्वपत्र की तीन पत्तियों को त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु, महेश का प्रतीक माना जाता है. इसके अलावा कई लोग इसे त्रिशूल और भगवान शिव के तीन नेत्रों का प्रतीक भी मानते हैं।

महाशिवरात्रि पर शिव कृपा पाने के लिए करें ऐसी पूजा
शिवपुराण में महाशिवरात्रि का हर प्रहर भगवान शिव की आराधना करने का खास महत्व होता है. इस दिन सुबह, दोपहर, शाम और रात इन चारों प्रहर में रुद्राष्टाध्यायी पाठ के साथ भगवान शिव का अलग-अलग पदार्थों जैसे दूध, गंगाजल, शहद, दही या घी से अभिषेक करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। अगर आप रुद्राष्टाध्यायी का पाठ नहीं कर पाते हैं तब शिव षडक्षरी मंत्र ‘ॐ नमः शिवाय’ का जप करते हुए भी शिवजी का अभिषेक कर सकते हैं।

कुमकुम या सिंदूर है वर्जित
कुमकुम सौभाग्य का प्रतीक होता है जबकि भगवान शिव वैरागी हैं इसलिए शिव जी को कुमकुम नहीं चढ़ाना चाहिए। साथ ही शिवलिंग पर हल्दी भी न चढ़ाएं।

महाशिवरात्रि पूजा मुहूर्त
पूजन सामग्री के साथ शुभ मुहूर्त में भगवान शिव की पूजा आरंभ करें. इस बार फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 11 मार्च को दोपहर 02 बजकर 39 मिनट से आरंभ होगी, जो 12 मार्च को दोपहर 03 बजकर 02 मिनट तक रहेगी।

रात्रि कालीन विवाह मुहूर्त है बेहद उत्तम
शास्त्रों के अनुसार, इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था। इसलिए हिंदू धर्म में रात्रि कालीन विवाह मुहूर्त को बेहद उत्तम माना गया है।

महाशिवरात्रि पूजा सामग्री
महाशिवरात्रि की पूजा में बेलपत्र, भांग, धतूरा, गाय का कच्चा दूध, चंदन, रोली, कपूर, केसर, दही, घी, मौली, अक्षत (चावल), शहद, शक्कर, पांव प्रकार के मौसमी फल, गंगा जल, जनेऊ, वस्त्र, इत्र, कुमकुम, कमलगटटा्, कनेर पुष्प, फूलों की माला, खस, शमी का पत्र, लौंग, सुपारी, पान, रत्न, आभूषण, परिमल द्रव्य, इलायची, धूप, शुद्ध जल, कलश आदि।

महाशिवरात्रि की पूजा विधि
महाशिवरात्रि के दिन
प्रातःकाल स्नान से निवृत होकर एक वेदी पर कलश की स्थापना कर गौरी शंकर की मूर्ति या चित्र रखें. कलश को जल से भरकर रोली, मौली, अक्षत, पान सुपारी ,लौंग, इलायची, चंदन, दूध, दही, घी, शहद, कमलगट्टा, धतूरा, बिल्व पत्र, कनेर आदि अर्पित करें और शिव की आरती पढ़ें. रात्रि जागरण में शिव की चार आरती का विधान आवश्यक माना गया है। इस अवसर पर शिव पुराण का पाठ भी कल्याणकारी कहा जाता है।

शिवलिंग पर तिल न करें अर्पित
तिल को शिवलिंग में चढ़ाना वर्जित माना जाता है क्योंकि यह भगवान विष्णु के मैल से उत्पन्न हुआ माना जाता है इसलिए इसे भगवान शिव को नहीं अर्पित किया जाना चाहिए।

शिवलिंग पर न चढ़ाएं तुलसीदल
तुलसी को हिन्दू धर्म में विशेष महत्व होता है और सभी शुभ कार्यों में इसका प्रयोग होता है, लेकिन तुलसी को भगवान शिव पर चढ़ाना मना है। भूलवश लोग भोलेनाथ की पूजा में तुलसी का इस्तेमाल करते हैं जिस वजह से उनकी पूजा पूर्ण नहीं होती।

इन चीजों से करें भोले शंकर की पूजा
जब श‍िव पूजा करें तो इसमें बेलपत्र, शहद, दूध, दही, शक्कर और गंगाजल आद‍ि जरूर शामिल करें. ऐसा करने से पूजा का शुभ फल दोगुना हो जाएगा।

रात के चार प्रहरों में कब करें पूजा
महाश‍िवरात्र‍ि पर रात में श‍िव व शक्‍त‍ि की पूजा का विधान है। ये पूजा 4 प्रहरों में बांटी गई है।
रात के पहले प्रहर की पूजा : शाम 18:26 से रात 21:33 तक।

रात के दूसरे प्रहर की पूजा : 21 फरवरी को 21:33 से 22 फरवरी को 00:40 तक।

रात के तीसरे प्रहर की पूजा : 22 फरवरी को 00:40 से तड़के 03:48 तक।

रात के चौथे प्रहर की पूजा : 22 फरवरी को तड़के 03:48 से सुबह 06:55 तक।

महाश‍िवरात्र‍ि के दिन पार्वती से शंकर का व‍िवाह संपन्‍न हुआ था।
साल 2020 में 21 फरवरी को महाश‍िवरात्र‍ि मनाई जा रही है। इस द‍िन को श‍िवजी का जन्‍म द‍िवस भी माना जाता है। और ये भी मान्‍यता है क‍ि इसी द‍िन देवी पार्वती से शंकर का व‍िवाह संपन्‍न हुआ था।

महाशिवरात्रि का महत्व
शास्त्रों के अनुसार, यह दिन भगवान शिव और देवी शक्ति के मिलन का दिन होता है। यह त्यौहार हिंदू धर्म में बेहद महत्वपूर्ण त्यौहार है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था। यही कारण है कि हिंदू धर्म में रात के विवाह मुहूर्त बेहद उत्तम माने जाते हैं। इस दिन भक्त जो मांगते उन्हें शिवजी जरूर देते हैं।

ह‍िंदू कैलेंडर के अनुसार इस दिन मनाई जाती है शिवरात्रि
ह‍िंदू कैलेंडर के अनुसार, साल के आख‍िरी महीने फाल्‍गुन में मनाए जाने वाले प्रमुख त्‍योहारों में महा श‍िवरात्र‍ि का पर्व आता है। इस द‍िन सुबह से ही श‍िव मंद‍िरों में भीड़ जुटनी शुरू हो जाती है और पूरा द‍िन श्रद्धालु भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करते हैं।

आज बन रहा है ये अद्भुत संयोग
महाशिवरात्रि पर शनि राशि मकर में और शुक्र राशि मीन में हैं। दोनों ही अपने ही ग्रह में मौजूद हैं और उच्च अवस्था में है। ये दुर्लभ योग इससे पहले 1903 में आया था। इस योग में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व होगा और जातक यदि अपनी अपनी राशि अनुसार भगवान की आराधना करेंगे तो इससे उनकी कई मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं।

रुद्राक्ष है शिव का शृंगार तत्व
रुद्राक्ष को भी शिव का श्रृंगार तत्व माना जाता है ।इसका उपयोग आध्यात्मिक क्षेत्र में किया जाता है। रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शंकर की आँखों के जलबिंदु (आँसू)से हुई है, इसे धारण करने से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।

ऐसे चढ़ाएं बेलपत्र
भगवान शिव को हमेशा उल्टा बेलपत्र यानी चिकनी सतह की तरफ वाला वाला भाग स्पर्श कराते हुए ही बेलपत्र चढ़ाएं। बेलपत्र को हमेशा अनामिका, अंगूठे और मध्यमा अंगुली की मदद से चढ़ाएं। शिव जी को बिल्वपत्र अर्पण करने के साथ-साथ जल की धारा जरूर चढ़ाएं।

करें ॐ नमः शिवाय का जाप
ॐ नमः शिवाय करालं महाकाल कालं कृपालं ॐ नमः शिवाय। मंत्र का जप करते रहें, साथ ही ॐ नमो भगवते रुद्राय, का जप भी कर सकते हैं। इन मंत्रों को जपते हुए बेलपत्र पर चन्दन या अष्टगंध से राम- राम लिख कर शिव पर चढ़ाएं।

प्रत्येक माह की ‘मासशिवरात्रि’ का एक-एक पल अतिपुण्यफलदायी माना गया है किन्तु, फाल्गुन माह की शिवरात्रि जिसे ‘महाशिवरात्रि’ कहा गया है उसका फल वर्षपर्यंत सभी शिवरात्रियों से भी अधिक है।

बन रहा है शुभ योग
इस बार महाशिवरात्रि पर दो महान शुभ योग बन रहा है. इस दिन सुबह 09 बजकर 25 मिनट तक महान कल्याणकारी ‘शिव योग’ रहेगा. उसके बाद सभी कार्यों में सिद्धि दिलाने वाला ‘सिद्धयोग’ शुरू हो जाएगा।

महाशिवरात्रि क्यों है श्रेष्ठ
भगवान शिव की आराधना के लिए महाशिवरात्रि श्रेष्ठ है. इस दिन दांपत्य जीवन को सुखी बनाने के लिए भगवान शिव और मां पार्वती की उपासना करते हैं।

महाशिवरात्रि 2021 के व्रत के दौरान ध्यान दें ये बातें
महाशिवरात्रि 2021 में यदि आप भी व्रत रखने वाले हैं तो कुछ बातों का आपको ध्यान देना होगा। यदि बुजुर्ग महिला या व्यक्ति व्रत रखना चाहते हैं तो फलाहार व्रत रख सकते हैं। गर्भवती महिलाएं भी व्रत के लिए यही तरीका अपना सकती हैं। बाकी सभी को शिवरात्रि पर नमक का सेवन नहीं करना चाहिए।

महाशिवरात्रि 2021 पर शिवलिंग पूजा का महत्व
इस दिन शिवलिंग की विशेष रूप से पूजा-अर्चना की जानी चाहिए। ऐसी मान्यता है कि जो जातक शिवरात्रि पर विधि-विधान से व्रत रखते हैं उनके सभी कष्टों को भगवान शिव हर लेते हैं। जैसा कि ज्ञात हो भोलेनाथ ने पूर्व में भी समुद्र मंथन से उत्पन्न हुआ विष का प्याला पी लिया था। साथ ही साथ इस दिन कुंवारी कन्याएं मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए भी व्रत रखती हैं।

महाशिवरात्रि 2021 की सामग्री की सूची
इस महाशिवरात्रि चारों प्रहर में पूजा करने के लिए आपको विभिन्न सामग्रियों की जरूरत पड़ सकती है। इनमें आपको सफेद पुष्प, बिल्वपत्र, भांग, धतूरा, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें, गंगा जल, कपूर, धूप, दीपक, रोली, इत्र, मौली, जनेऊ, पंचमेवा, मंदार पुष्प, गन्ने का रस, दही, देशी घी, रूई, चंदन, पांच तरह के फल समेत भोग के लिए गाय का कच्चा दूध, शहद, स्वच्छ जल, खीर, बताशा, नारियल, पांच तरह के मिष्ठान व अन्य चीजों की जरूरत पड़ सकती है।

इस महाशिवरात्रि पर बन रहा ये विशेष योग
महाशिवरात्रि 2021 पर विशेष संयोग पड़ रहा है। इस साल यह पर्व त्रियोदशी से शुरू होकर चतुर्दशी में भी पड़ रही है। आपको बता दें कि इसका मुहूर्त कुल 23 घंटों का रहने वाला है। आपको बता दें कि नक्षत्र धनिष्ठा योग 11 मार्च को रात्रि को 09 बजकर 45 मिनट तक रहने वाला है। फिर शतभिषा नक्षत्र लग जाएगा जो शिवरात्रि के दिन शिव योग अर्थात 09 बजकर 24 मिनट तक रहेगा। इसके बाद सिद्ध योग लगने वाला है।

सुबह है योग

शिव योग 10 मार्च की सुबह 10 बजकर 36 मिनट से 11 मार्च की सुबह 09 बजकर 24 मिनट तक रहेगा.

सिद्ध योग 11 मार्च की सुबह 09 बजकर 24 मिनट से 12 मार्च की सुबह 08 बजकर 29 मिनट तक रहेगा

महाशिवरात्रि पारणा मुहूर्त:
12 मार्च, सुबह 06 बजकर 36 मिनट से दोपहर 3 बजकर 04 मिनट तक

महाशिवरात्रि 2021 पर ऐसे करें पूजा
सबसे पहले महाशिवरात्रि के दिन सुबह सूर्योदय से पहले स्नान करें।
फिर व्रत का संकल्प लें.
भगवान शिव का जलाभिषेक करें।
शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा, फूल, अक्षत, भस्म, दूध, दही आदि से अर्पित करें
शिवपुराण, चालीसा समेत अन्य शिव मंत्रों का जाप करें
रात्रि में भी शिवजी की आरती और पूजा करें

महाशिवरात्रि का शुभ मुहूर्त
निशीथ काल पूजा मुहूर्त: 11 मार्च, रात 12 बजकर 6 मिनट से 12 बजकर 55 मिनट तक

पहला प्रहर: 11 मार्च की शाम 06 बजकर 27 मिनट से 09 बजकर 29 मिनट तक

दूसरा प्रहर: रात 9 बजकर 29 मिनट से 12 बजकर 31 मिनट तक

तीसरा प्रहर: रात 12 बजकर 31 मिनट से 03 बजकर 32 मिनट तक

चौथा प्रहर: 12 मार्च की सुबह 03 बजकर 32 मिनट से सुबह 06 बजकर 34 मिनट तक।

क्यों मनाया जाता है महाशिवरात्रि पर्व
हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि पर्व की विशेष मान्यताएं है। ऐसी मान्यता है कि शिवरात्रि की रात्रि शिव और माता पार्वती के मिलन की रात के रूप में मनाया जाता है। साथ ही साथ इस दिन 64 शिवलिंग के रूप में भगवान भोले संसार में प्रकट हुए थे। हालांकि, दुनिया फिलहाल 12 शिवलिंग ही ढूंढ पायी है जिसे 12 ज्योतिर्लिंग के नाम से भी जाना जाता है।

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