वाद प्रतिवाद के बीच मनाया गया टीएमबीयू का 63वा स्थापना दिवस ।

वाद प्रतिवाद के बीच मनाया गया टीएमबीयू का 63वा स्थापना दिवस ।

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भागलपुर तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय का 63 वा स्थापना दिवस मनाया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रमंडलीय आयुक्त दयानिधान पांडे, टीएमबीयू के पूर्व कुलपति डॉ छवेंद्र सिंह, रांची विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ नंद कुमार इंदु, प्रति कुलपति डॉ रमेश कुमार सहित विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की। कार्यक्रम के दौरान विश्वविद्यालय के जहां अच्छे दिनों की चर्चा की गई वहीं वर्तमान समय में विश्वविद्यालय की बदहाली पर भी वक्ताओं ने ध्यान आकृष्ट किया। तिलकामांझी विश्वविद्यालय में पिछले चार वर्षों से स्थाई कुलपति नहीं हैं।

वही प्रभारी कुलपति भी पिछले सात माह से विश्वविद्यालय नहीं आए हैं। जिसके कारण जहा आठ हजार से भी ज्यादा छात्रों की डिग्री पेंडिंग पड़ी हुई है। वही रिटायर्ड कर्मचारियों का पेंशन भी नहीं मिल रहा है। इसके साथ साथ यहा सेशन लेट हो चुका है। वही कर्मचारियों के अन्य काम भी कुलपति के नहीं रहने के कारण पेंडिंग पड़े हुए हैं।

जिसका विरोध कार्यक्रम के दौरान कर्मचारी नेताओं और शिक्षक नेताओं ने मंच से विरोध किया और सवाल खड़े किए हैं कि यह स्थापना दिवस मनाने का क्या औचित्य जब रिटायरमेंट के बाद भी शिक्षक कर्मचारियों को पेंशन भुगतान करने में भी विश्वविद्यालय अक्षम नजर आ रही है। वही छात्रों के डिग्री के मामले हो या फिर सेशन को ठीक करने के सभी मामलों में विश्वविद्यालय ठप पड़ा हुआ है। ऐसे में स्थापना दिवस का क्या महत्व। यह सवाल भी उठाए गए। वही कार्यक्रम के दौरान रिटायर कर्मियों को सम्मानित भी किए जाने का कार्यक्रम था।

लेकिन मंच से रिटायर्ड कर्मियों को बुलाया गया लेकिन कोई भी रिटायर्ड कर्मचारी सामान लेने के लिए मंच पर नहीं पहुंचे और उन्होंने कार्यक्रम का विरोध किया। इन लोगों का कहना था कि जब रिटायरमेंट के बाद पेंशन नहीं दे पा रहा है विश्वविद्यालय तो ऐसे सम्मान को लेकर क्या करेंगे। वही पूर्व कुलपति ने कहा कि कुलपति विहीन विश्वविद्यालय में कहीं से कोई नियम कानून नहीं चल रहा है। जहां इस विश्वविद्यालय के कुलपति राष्ट्रकवि दिनकर हुआ करते थे वहां की इस दुर्दशा को देखकर वह भी दुखी हैं।

वही देखने वाली बात है कि सरकार की नजर इस विश्वविद्यालय पर कब पड़ती है और विश्वविद्यालय का दिन का बदलता है। उच्च शिक्षा में बेहतरी के दावे लगातार सरकार के द्वारा और शिक्षा मंत्री के द्वारा की जाती रही है लेकिन तिलकामांझी विश्वविद्यालय के इस हाल के लिए कौन जिम्मेवार है यह कौन बताएगा।

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