जन मानस ह्रदय परम निर्भीक हो,
दृष्टि गुणदर्शी मस्तक गर्वोन्नत हो ,
मन-वचन-कर्म में एकत्व दरश हो,
वाणी निःशंक हो, हृदय-तल की,
गहराई का सन्मार्ग स्वतःप्रशस्त हो…….
संकीर्ण राष्ट्रवादी विचार,नफरत
करे,पर-धर्म से, देखे वह सूर्यास्त,
माल्यार्पण हो,विश्व-स्तरविचार को,
शिक्षा में समदृष्टि हो, हर छात्र हो
उपदिष्ट, गुरुवाणी के सब पात्र हों…
…….
तर्कशक्ति जन-संवेदना नहीं पथभ्रष्ट हो,
अंधविश्वास-रूढ़ि न भटके मरुस्थल में ,
न जाति-धर्म-वर्ग भेद हो,शिक्षा-वलय में,
मानव-मूल्य ही जहाँ पूज्य ईश -मूर्ति हो,
गुणवती हो शिक्षा,न शिष्य-पलायन हो……
सर्व-शिक्षित भारत के चरण सदा थिरकें,
चिर-जागृत पुनर्विहान दृश्य भारती निरखें……..
@MIRA BHARTI
PUNE,MAHARASHTRA