कितना अच्छा वो बचपन था । जिसमें ना किसी से स्वार्थ था न ही मोह माया थीं । न ही रोजगार का माथा दर्द था न ही कोई छल कपट और न ही कोई उतने बड़े शौक सपने थे केवल मस्ती आनंद से भरा हुआ समय था जिसमें सब साथ थे, अपनापन था, अपने सब,आंगन का परिवार , गांव समाज के भाई लोग, मित्र,सब के साथ दुर्गा पूजा का आनंद ही कुछ अलग रहता था और भक्ति भाव से गांव का माहौल भक्तिमय एवं रंगीला सा लगता था। पता नहीं कौन सा उम्र में आ गये कौन सा समय आ गया, जिसमें जिम्मेदारी और समझ आने से सब से दूर हीं हो गये । दुर्गा पूजा के आने से पहले ही हमलोग कितना खुश हों जातें थे । ये सोचकर कि मेला घूमेंगे ,रावण दहन होगा। स्कूल जाना बंद होगा , नया ड्रेस लिया जाएगा, इधर उधर घूमना होगा, गुल्लक तोड़ा जाएगा , वो सब खुशियों में एक अलग ही मजा था। यहां तक कि कुछ दिन पहले ही हमलोग दिया बनाने के लिए चौर चांचर से मिट्टी लाने के लिए पहले से ही व्यवस्था में लग जाते थे, और फिर नवरात्र शुरू होने के दिन से संध्या समयानुसार धर से दीदी लोग के साथ निकल जाते थे, दुर्गा जी के मंदिर में दिया जलाने के लिए !!वो सब समय अब कभी दोबारा नहीं आयेगा। केवल मिठी याद आयेगी, । अपने बाजार में सब गाड़ी वाला सब से चंदा वसूली करना, रावण के लिए बांस काटने जाना, रावण के शरीर सब को रस्सी से बांधना फिर उसे उठाकर” कुछ मित्रों के सहयोग से स्कूल और मंदिर के प्रांगन में ही इधर उधर रखना, मंदिर में प्रसाद चढ़ाने से लेकर आरती तक उपस्थित रहना, रात को आरा झारा का नाच, जो कभी ठीक से तो देखें नहीं पर बहाना मिल जाता था, इधर उधर घूमने का, दसमीं के दिन रावण दहन में वानरों के सेना में सम्मिलित होना ..ओह क्या वो बचपन था। विसर्जन के पहले रात मंदिर के प्रांगन में साउंड सिस्टम बजाकर अपने गांव समाज के भाई लोग के साथ धक्का मुक्की करके नृत्य करना , मजा तो तब आता था जब सब भाई लोग साईड होकर तालियां बजाकर केवल हमें ही डांस के लिए प्रोत्साहित करता था, तालियों की गुंज कान में जाते ही शरीर अपने आप करवट बदलने लगता था,ओह मन गदगद हो जाता था।उस समय पता ही नहीं था कि जिंदगी और भी करवटें लेगा..जिसमें अहमियत पैसों की होगी…!! पैसों कि दुनिया ने अपनों से ही दूर कर दिया, पैसे है तो सभी रिश्ते सलामत है नहीं है तो अपने भी पराए हैं..अब समय यह है जिसके पास धन है वो अगर बकवास भी करें तो लोग तबज्जों देते हैं। कुछ लोग तो मंदिर को ही राजनीति, कूटनीति, व्यापार में बदल रहे हैं। भक्ति और आस्था के पवित्र स्थान पर ऐसा न हो यहीं अच्छा रहता है।।खैर कोई नहीं दुनियां अब ऐसे ही है…!! माता रानी से प्रार्थना है सभी पर कृपा बनाए रखे…”जय माता दी” !!
विजय कुमार राय
पटना, बिहार…