ईश्वर-अल्ला की, शुभ परिभाषा।
सन्मति मिलने की जगी आशा।
सत्याग्रह से जन जन जागा।
बुन रहे सब चरखा चला धागा।
सर पर बस्ता, कांख तक पानी।
गरीब लाल ने पढ़ने की ठानी।
कलम उठा चले- दिल्ली मानी।
ताशकंद वार्ता, अलग कहानी।
दो लाल भारत पर थे आए।
गांधी और बहादुर कहलाए।
डांडी यात्रा, गोरे सकपकाए।
हरित क्रांति से खेत लहराए।।
डॉ० कवि कुमार निर्मल
सत्याग्रह
ईश्वर-अल्ला की, शुभ परिभाषा। सन्मति मिलने की जगी आशा। सत्याग्रह से जन जन जागा। बुन रहे सब चरखा चला धागा। सर पर बस्ता, कांख तक पानी। गरीब लाल ने पढ़ने की ठानी। कलम उठा चले- दिल्ली मानी। ताशकंद वार्ता, अलग कहानी। दो लाल भारत पर थे आए। गांधी और बहादुर कहलाए। डांडी यात्रा, गोरे सकपकाए।…
