शॉपिजन एप साहित्यकारों को दे रहा विशेष पहचान

साहित्यकारों के लिए बड़ी समस्या होती है पुस्तकों का प्रकाशन एवं पुस्तकों को बेचना । एक वह भी समय था जब साहित्यकार हज़ारों की लागत से अपनी पुस्तकें छपवाते थे फिर उसे घुम-घुम कर बस ट्रेन में बेचा करते थे । आज भी कई रचनाकार पुस्तकें हज़ारों की लागत से छपवा तो लेते है पर…

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साहित्यकारों के लिए बड़ी समस्या होती है पुस्तकों का प्रकाशन एवं पुस्तकों को बेचना । एक वह भी समय था जब साहित्यकार हज़ारों की लागत से अपनी पुस्तकें छपवाते थे फिर उसे घुम-घुम कर बस ट्रेन में बेचा करते थे । आज भी कई रचनाकार पुस्तकें हज़ारों की लागत से छपवा तो लेते है पर पुस्तकों की लागत भी वापस नही हो पाती है । ऐसे में शॉपिजन एप के माध्यम से प्रगति दाभोलकर ने एक उम्दा पहल कर रचनाकारों को विशेष पहचान दे रही हैं । रचनाकार अपनी रचनाओं को प्रगति दाभोकर को भेजते हैं जिसे प्रकाशित की जाती हैं । प्रकाशित पुस्तकों की प्रति रचनाकार अपनी इक्षानुसार ऑनलाईन मंगवा पाते हैं । ऐसे में एक ओर जहाँ रचनाकारों के पैसों की बचत होती हैं वहीं काग़ज की बर्बादी नही होती है । वहीं दूसरी ओर निर्धन रचनाकार के पुस्तकों के प्रकाशन का सपना भी साकार होता है । पुस्तकों को फ्लिपकार्ट , अमेजन आदि पर नि:शुल्क प्रचार प्रसार भी किया जाता है । सबसे बड़ी बात ये भी है की रचनाकारों को 10% रॉयल्टी भी प्रदान की जाती है । समय-समय पर होने वाले शॉपिजन एप पर  प्रतियोगिताएँ नवोदितों को प्रोत्साहित करने का भी कार्य करती है ।

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