राणा की वीरता

विषय- राणा की वीरताविधा- ताटंक छंद विधान 16, 14 पर यति। कुल चार चरण। दो- दो चरण समतुकान्त, चरणान्त तीन गुरु (ऽऽऽ) पावन धरती भारत मां की,जब रणमें शत्रु आया था।राणा ने मोर्चा संभाला था, शत्रु को खूब छकाया था।।मेवाड़ का वो वीर सपूत, मातृभूमि का गौरव था।शंखनाद जब किया राणा ने,गूंज भवानी नारा था।।…

विषय- राणा की वीरता
विधा- ताटंक छंद

विधान 16, 14 पर यति। कुल चार चरण।

दो- दो चरण समतुकान्त, चरणान्त तीन गुरु (ऽऽऽ)

पावन धरती भारत मां की,जब रणमें शत्रु आया था।
राणा ने मोर्चा संभाला था, शत्रु को खूब छकाया था।।
मेवाड़ का वो वीर सपूत, मातृभूमि का गौरव था।
शंखनाद जब किया राणा ने,गूंज भवानी नारा था।।

सिसोदिया वंश का प्रतापी,शौर्य पर्याय राणा था।
वीर योद्धा धरती मां का था,कीर्ति ध्वजा फहराया था।।
किया लडाई मुगलों से वो, हार नहीं मानी राणा ।।
धरा से अपने पराक्रम का,लोहा वो मनवाया था।।

अमर बनी राणा की कहानी, शौर्य भरपूर राणा था।
जंगल में भी भटका था राणा, रण में राणा लौटा था।।
राणा सैनिक उत्साह बढ़ाता, शत्रु को खूब छकाया था।
रक्त बहाया रण में राणा ने, शत्रु को धूल चटाया था।।

स्वरचित एवं मौलिक रचना

             अनुराधा प्रियदर्शिनी
            प्रयागराज उत्तर प्रदेश

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