*मुक्तक*
छवि स्कंदमाता की ,
करूॅं कर जोड़ मैं विनती ।
सभी भक्तों के भावों को,
यही माॅं ध्यान से सुनती ।
कृपालु हैं बड़ी माता ,
इन्हें नर देव सब ध्याता ।
धराती धीर है सबको ,
सभी का कष्ट है हरती ।।
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चली जग की भ्रमण करने,
करी सिंह की सवारी है ।
बड़ी वरदायिनी माता ,
सभी को खूब प्यारी है ।।
अभय देती है माॅं सबको,
सुखी करती है माॅं जग को।
दया दीनो पे करती है,
सभी दुष्टों पे भारी है ।।
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जो नर नारी इन्हें ध्याता ,
सदा खुशियाॅं है वह पाता।
चलो नवरात्रि में हम भी,
करें माता की जगराता।।
बड़ा ही शुभ समय आया,
है यह सौभाग्य संग लाया।
सभी भक्तों का है इनसे ,
माता और पुत्र का नाता ।।
*रचयिता*
*रामसाय श्रीवास”राम”किरारी बाराद्वार*
( *छग* )