आंचल तेरा प्यार भरा,
प्यारा सा अहसास लिए।
तेरे इस आंचल के तले,
धूप नहीं बस छांव मिले।।
शब्द भी कम पड़ जाते,
मां के लिए जब लिखना हो।
कलम मेरी थम जाती है,
मां के लिए जब चलना हो।।
मां शब्द ही सम्पूर्ण है,
उसके आगे निशब्द सब।
मां के लिए क्या उपमा दूं,
अपने आप में परिपूर्ण सब।।
त्याग बलिदान संघर्ष की मूरत,
दुनिया में सबसे खूबसूरत।
खेले गोद में उनकी ईश्वर भी,
प्यारी ये ममता की मूरत।।
संतानों की खातिर अपना,
सर्वस्व समर्पण करती है।
दुख दर्द, पीड़ा भूल सभी,
विपदा में भी हंसती रहती।।
मां ही जीवन धारा मेरी,
अबाध गति से बहते जाऊं।
मां का सानिध्य रहे हरदम तो,
सारी बाधाएं पार कर जाऊं।।
दुनिया के कोई सुख नहीं,
जो मां के कदमों तले ना हों।
सारे तीरथ हो जाएं बस,
मां की आंखें नम ना हो।।
रश्मि पांडेय, शुभि
डिंडोरी, मध्यप्रदेश