कहूं कैसे मैं
माता की ममता को
कुछ शब्दों में
बढ़ाती है जो
सदा हौसला मेरा
मुसीबतों में
कोसों दूर से
जान लेती है वो कि
मैं हूं कष्ट में
जिसका स्पर्श
मिटा देता है मेरी
हर थकान
छांव में मां की
मिल जाता है मुझे
सारा जहान
समझ ले जो
अनकही बातें भी
वो मां है मेरी
करुणामयि
ममता का सागर
वो मां है मेरी
दुनियां मेरी
जिसके कदमों में
वो मां है मेरी
मीनेश चौहान
फर्रुखाबाद (उत्तर प्रदेश)