महागौरी उपासना
(भक्ति गीत)
(माता रानी के अष्टम रूप की अराधना)
“सभी भक्त जनों को शारदीय नवरात्रि महोत्सव के परम पावन अवसर पर ढेर सारी शुभकामनाएं एवं अशेष बधाईयां।“
पंक्तियां
“हे महागौरी माता, सुन लो हम भक्तों की पुकार,
हो रही आज सारे जग में, केवल तेरी जय जयकार।
जाने का मन नहीं करता मां, देखकर तेरा दरबार,
जो भी खड़े तेरे द्वार, सुन लो मैया सबकी पुकार!”
भक्ति गीत
महाष्टमी आई है, जग में महागौरी माता छाई है,
रूप रजत समान है, यह महादेव जी का वरदान है।
कुंद पुष्प जैसा धवल रंग है, आज भगवती माता का,
भवानी मां मंदिर में, कन्यापूजन का सुंदर विधान है।
महाष्टमी आई है…………….
महागौरी अराधना, है हर भक्त मन की कामना,
शांत मुद्रा, श्वेत वर्ण, मातारानी गौरी की पहचान है।
आज का, कन्या वाला रूप माता का बड़ा प्यारा है,
मैया का अंग अंग, विद्युत समान चंचल कांतिमान है।
महाष्टमी आई है……………
महागौरी माता, उमा देवी भी कहलाती है जग में,
उमा देवी के कारण शिव का, उमापति भी नाम है।
माता करुणामई, मृदुला, करुणा की देवी लगती है,
मां के इस बालरूप को, खुश करना आसान है।
महाष्टमी आई है…………….
वाहन माता का, बैल और सिंह दोनों ही हैं आज,
लाल चुनरी चढ़ाने को, सुहागिनों का लगा ध्यान है।
महागौरी पूजन से आलौकिक सिद्धियां आती हैं,
जहां माता की पूजा अर्चना, मां विराजमान है।
महाष्टमी आई है……………….
“या देवी सर्वभूतेषु महागौरी रूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नमः।“
प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)