बीत गया है बुरा जमाना ,जब नारी शोषित होती थी ,
ढोल,गंवार ,शुद्र ,पशु जैसी ,नारी प्रताड़ित होती थी ।
कहलाती थी अबला तब वह ,अश्रु बहाया करती थी ,
ममता की प्रतिमूर्ति थी वह ,घोर प्रताड़ित होती थी ।
बदल गया है आज जमाना ,बदल गए हैं विचार ,
नहीं होता अब पहले जैसा , उन पर अत्याचार ।
पंचायत से राष्ट्र तलक तक ,शासन करती आज ,
जितनी क्षमता छिपी थी उनमें ,उभर कर आई आज ।
अंतरिक्ष में दौड़ लगा रहीं ,सीमा पर तैनात ,
नहीं आज कोई क्षेत्र बचा है ,जिसमें नहीं निष्णात ।
नहीं कैद लक्ष्मण रेखा में ,देखो नारी आज ,
नहीं रही लज्जा की मूर्ति ,घूंघट में छिपी लाज ।
तोड़ के सारे बंधन को वो , निकल पड़ी हैं आज ,
तब का दौर सब बीत चुका है ,नया दौर है आज ।
आज सही में प्रकट हुआ है ,नारी का दुर्गा रूप ,
वही है काली ,वही सरस्वती ,वही है लक्ष्मी। अनूप ।
अब न कोई उन्हें रोक सकेगा , उनमें शक्ति महान ,
उनकी महिमा से गुंजित है ,देखो सारा जहान ।
प्रो उमेश नंदन सिन्हा।
बीत गया है बुरा जमाना
बीत गया है बुरा जमाना ,जब नारी शोषित होती थी ,ढोल,गंवार ,शुद्र ,पशु जैसी ,नारी प्रताड़ित होती थी ।कहलाती थी अबला तब वह ,अश्रु बहाया करती थी ,ममता की प्रतिमूर्ति थी वह ,घोर प्रताड़ित होती थी ।बदल गया है आज जमाना ,बदल गए हैं विचार ,नहीं होता अब पहले जैसा , उन पर अत्याचार ।पंचायत…
