छमछम पैंजनिया छनकाती,
रुमझुम कंगना खनकाती,
इठलाती, बलखाती, गुड़िया,
स्नेह दुलार बरसाती बिटिया।
घर आंगन चहक, चहकाती,
जीवन बाग महक, महकाती,
स्नेह डोर से बांधे रखती,
प्यार दुलार से हॄदय हर्षाती।
गुनगुनी धूप-सी नेह बरसाती,
रविकिरणों-सा ऊष्मा ले आती,
चंदा की वह शीतल चांदनी,
प्यारी बिटिया बड़ी सुहानी।
बिटिया बिना घर होता सूना,
बिटिया नेह अनमोल खजाना,
भेद न हो लालन पालन में,
लाड़ली पले दुलार छांव में।
ज्ञान, कला, कौशल से चमके,
जीवनज्योति ज्ञान से दमके,
सृष्टि की अद्भुत सृजनहार,
सहेजे जीवन, घर परिवार।
छू लेने दो नीलाभ गगन,
गरिमा खिले, मिले सम्मान,
भ्रूण हत्या बेटी की, हैं महापाप,
कोख में पलने दो, कोमल पुष्प।
दिल की धड़कन बेटिया,
घर की रौनक नन्हीं कलिया,
चहकती आंगन की चिड़िया,
आभा, शोभा, विभा बेटिया।।
मां, बहन, पत्नी, सखी,
नारी सदा ही पूजी जाती,
आत्मसम्मान से जीने दो,
अलमस्त गगन में विचरने दो।
जीने दो जी भर सम्मान से,
लाजवंती-सी मोहिनी बेटिया।
चंचल जैन
मुंबई