फ़िक्र कि रात में तुम सुकूँन कि नींद हो।
चाँद से भी ज़ियादा मेरे नूर-ए-खुदा हो।
चाहे किसीभी ख़याल के साथ मेरी आँखे
बंध हो लेक़िन मेरा पहला ख़्वाब तुम हो।
करवटें चाह कर भी नही बदल सकता में
क्यूँकि दोंनो तरफ कयामत सी छाई हो।
कड़कड़ाती हुई सर्दियों के मौसम में ठंड
से मुझे बचाती हुई गर्माहाट भरी आग़ हो।
छुटे न कभी वो आदत हो तुम मेरी सुबह
की अदरक वाली चाय का स्वाद हो।
नीक राजपूत
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