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सुख में साथी सब बने,
दुख में बने न कोय|
जो दुख में साथी बने ,
मानों भगवन होय||
आज जमाना है यही,
स्वारथ के सब मीत|
जब स्वारथ सिद्धी मिले,
छोंड दिए वह प्रीत||
नहीं सुदामा,कृष्ण हैं,
नहीं बालि सुग्रीव|
नहीं द्रोपदी नारि है,
नहीं पाँडु बलसीव||
सच्ची -साथी जगत में,
इक पत्नी है यार|
सुख -दुख में साथी वही,
करे विघ्न निरुआर||
कलयुग के कलिकाल में,
यदा कदा तुम छोड़|
पति -पत्नी भी भ्रष्ट है,
लगे पता दुख मोड़||
अमरनाथ सोनी “अमर “