दोहा-
माँ रानी दरबार में, छाई खुशी अपार|
नर-नारी शृंगार कर, आए माँ दरबार||
चमक,दमक तन वस्त्र में, मुख पर चमक उजास|
नर-नारी दो साथ में, करता नृत्य झकास||
मात गीत-गाते वही, लय,सुर, ताल- तरंग|
हस्त,पैर,मुख,नेत्र से, भाव दिखाते चंग||
अमरनाथ सोनी “अमर “