मंच को नमन
दिनांक :- ०९-०५-२०२२
वार :- सोमवार
विषय :- मेरा राणा प्रताप
विधा :- कविता
राजस्थान की पावन भूमि को प्रणाम करता हूं,
उदय सिंह जी को भी प्रणाम सौ सौ बार करता हूं।।
मिट्टी कितनी प्यारी है राणा जैसे जन्मे हैं,
एकलिंग जी हरदम जिनके तन में हैं।।
राणा प्रताप ने जन्म लिया गौरव मान बढ़ाया है,
देखकर राणा प्रताप को दुश्मन भी थर्राया है।।
प्रताप के आदर्श मूल्यों का गुणगान गाया है,
जिसने देश के लिए प्राण दांव पर लगाया है।।
हुआ पराजित कभी नहीं, जो पग पग बढ़ता जाता है,
छिन्न-भिन्न हो चुका था राज्य पर तनिक नहीं घबराता है।।
मुगल सैनिकों से अपने परिवार बचाने के खातिर,
रोटी खाई घास की स्वाभिमान बचाने के खातिर।।
त्याग,तपस्या,संघर्ष से देश का मान बचाया है,
देश बचाने के खातिर सर्वस्व दांव पर लगाया है।।
इतिहास रखेगा याद जिन्हें, देशभक्त मतवाला है,
राणा प्रताप के तीर,तलवार और वीरवर भाला है।।
दुश्मन के छक्के छुड़ा दिए तनिक नहीं घबराते हैं,
मारो काटो देश बचाओ,बस यही नारा लगाते हैं।।
गौरव,सम्मान,मान,स्वाधीनता के संस्कार हैं,
भारत भूमि राजस्थान का प्यारा राजकुमार है।।
संकट की घड़ी है आन पड़ी राह नहीं है सूझ रहा,
आक्रमण करने के खातिर अकबर देखो जूझ रहा।।
हल्दीघाटी युद्ध की सबसे भीषण युद्ध रहा,
झाला,चेचक को देखकर अकबर भी कुद्ध रहा।।
लगातार प्रयास रहा दुर्ग आजाद कराया है,
दृढ़ संकल्प रहा जिनका,वही विजेता कहलाता है।।
स्वरचित रचना
प्रभात राजपूत”राज”गोंण्डवी
गोंडा, उत्तर प्रदेश