जय माँ कुष्मांडा

जय माँ कुष्मांडा ४था दिन नवरात्रि, मां कूष्मांडा गाथा गायें। कूष्मांडा पूजन कर अनाहत चक्र जागायें।। अनाहत चक्र में ध्यान कर साधना करते हैं। जिससे रोग, दोष, शोक निवारण करते हैं। यश, बल और दीर्घायु का वरदान पाते हैं। अनाहत चक्र हृदय निकट १२ पंखुडिय़ों का कमल है। परमानंद, शांति, सुव्यवस्था, प्रेम, संज्ञान, स्पष्टता छ…

जय माँ कुष्मांडा

४था दिन नवरात्रि, मां कूष्मांडा गाथा गायें।
कूष्मांडा पूजन कर अनाहत चक्र जागायें।।

अनाहत चक्र में ध्यान कर साधना करते हैं।
जिससे रोग, दोष, शोक निवारण करते हैं।
यश, बल और दीर्घायु का वरदान पाते हैं।
अनाहत चक्र हृदय निकट १२ पंखुडिय़ों का कमल है।
परमानंद, शांति, सुव्यवस्था, प्रेम, संज्ञान, स्पष्टता छ गुण है।
शुद्धता, ऐक्य, कृपा, करुणा, क्षमा सुनिश्चिय का प्रतीक है।
कुषूम्ना गृह हृदय, भावनाओं और मनोभावों का केन्द्र है।
प्रतीक के दो ऊपर से ढाले गए त्रिकोण योगी देख पाता हैं।
एक त्रिकोण का शीर्ष ऊपर की ओर संकेत करता है।
दूसरा नीचे की ओर, आकृति पूर्ण करता है।
इसकी ऊर्जा आध्यात्मिक चेतना की ओर प्रवाहित होती है।
हमारी भावनाएं भक्ति, शुद्ध, ईश्वर प्रेम और निष्ठा प्रकट करती है।
जय माता कुष्मांडा तेरा
जयकारा करते शेरावाली
का हैं।

पुष्पा निर्मल बेतिया
बिहार

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