जय जवान जय किसान

#दिनांकः ०२-१०-२०२१ #दिवस: रविवार #विधाः दोहा #विषय : जय जवान जय किसान शीर्षक: 💐🙏बड़ा बहादुर लाल था🙏💐 अंतर्मन स्वाधीनता,सत्य अहिंसा मंत्र। शास्त्री गांधी शिष्य गुरु,हिला ब्रिटिश खल तंत्र॥१॥ तन मन धन अर्पण वतन,सत्याग्रह पथ क्रांति। आज़ादी अरमान बस,सुख वैभव बल शान्ति॥२॥ मुक्ति मिली पराधीनता,भारत हुआ स्वतंत्र। संविधान गणतंत्र बन,गांधी सच पथ मंत्र॥३॥ खुशियों की नव…

डॉ. राम कुमार झा

#दिनांकः ०२-१०-२०२१
#दिवस: रविवार
#विधाः दोहा
#विषय : जय जवान जय किसान
शीर्षक: 💐🙏बड़ा बहादुर लाल था🙏💐

अंतर्मन स्वाधीनता,सत्य अहिंसा मंत्र।
शास्त्री गांधी शिष्य गुरु,हिला ब्रिटिश खल तंत्र॥१॥

तन मन धन अर्पण वतन,सत्याग्रह पथ क्रांति।
आज़ादी अरमान बस,सुख वैभव बल शान्ति॥२॥

मुक्ति मिली पराधीनता,भारत हुआ स्वतंत्र।
संविधान गणतंत्र बन,गांधी सच पथ मंत्र॥३॥

खुशियों की नव अरुणिमा,सुखद देश स्वाधीन।
बन प्रकाश उन्नति वतन,सम समाज श्री हीन॥४॥

शिक्षा सब जन हो सुलभ,मिटे तिमिर अज्ञान।
नर नारी निर्भय सबल,स्वाभिमान सम्मान॥५॥

आन बान शाने वतन,वीर बहादुर लाल।
कूटनीति शास्त्री सबल,भारत था ख़ुशहाल।।६॥

धीर वीर गंभीरता,संयम बुद्धि विवेक।
सत्य अहिंसा सादगी,जनमन दुख उद्रेक।।७॥

भारत माँ का रत्न था,शास्त्री देश प्रधान।
संघर्षक साहसी प्रखर, लाल बहादुर आन॥८॥

समरसता औदार्य का,मानवता प्रतिमान।
किया चोट दुश्मन हृदय,चोटिल पाकिस्तान।।९॥

घायल चीनी चोट से,भारत शास्त्री शेर।
तहस नहस लाहौर तक,किया पाक को ढेर॥१०॥

शान्ति दूत श्रीकृष्ण बन, ताशकन्द गतिमान।
फॅंस अभिमन्यु चक्र में,शौर्य वीर अवसान॥११॥

शोकातुर जन गण वतन, साश्रु किसान जवान।
विजय कुसुम मुरझा गया,धुमिल राष्ट्र जयगान॥१२॥

भारत जन मन लाड़ला, शास्त्री वीर सपूत।
नारा जय किसान सृजित,जय जवान आहूत॥१२॥

शिक्षा सब जन हो सुलभ,मिटे तिमिर अज्ञान।
नर नारी निर्भय सबल,स्वाभिमान सम्मान॥१३॥

खिले प्रगति भारत सुमन,हो जण गण सुखधाम।
कान्ति शान्ति मुस्कान जग,सुरभि कीर्ति अभिराम॥१४॥

शुभ प्रकाश विज्ञान का,अन्तर्मन परमार्थ।
राष्ट्र प्रेम अरमान हिय,जीवन सत् पुरुषार्थ॥१५॥

सदाचार जीवन विनत,कर्मवीर धर्मार्थ।
पथ ईमान इन्सानियत, जीता था देशार्थं॥१६॥

दिया देश सर्वस्व निज, जीवन बना फ़क़ीर।
गुदड़ी का वह लाल था, बेचा नहीं ज़मीर॥१७॥

बड़ा बहादुर लाल था, जनमन का सरताज़।
संविधान सुरभित कमल,लोकतंत्र आवाज़॥१८॥

सुनहर यादें आपकी, विजय गीत यश मान।
कालजयी जीवन्त बन,भारत हित अवदान।।१९॥

गाथा स्वर्णिम त्याग लिख,धेय राष्ट्र कल्याण।
है निकुंज कुसमित सुमन, शत शत बार प्रणाम॥२०॥

कवि✍ डॉ. राम कुमार झा “निकुंज”
रचना: मौलिक (स्वरचित)
नई दिल्ली

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