घटु ते भलुके जनमीं तुमहीं ,
घटहीं महिं वासि करौ तनि माईं ।
बनमा भटकीं प्रभुके सथवा ,
पथु कै दुखवा मनवा नहिं लाईं ।
दुलरी चँदनी वदनी जननी
अवनीं निकसीं जगु तारनि ताईं ।
रघुवीरु प्रिया कुसुमावलि सी ,
महकीं गमकीं बनिके परछाईं ।।
सीता मैइया कै नवनी-तिथि पै सबु वरेण्यु सुधीजननु क ढ़ेरिके बधाईयाँ व शुभकामनाएं !
ज्ञानेन्द्र पाण्डेय "अवधी-मधुरस" अमेठी