अपने गम में मुस्कराना आ गया।
और दूजों के लिए अब ,आँसू बहाना आ गया।।
यूं तो जीते हैं सभी अपने लिए।
जो जिये औरों की खातिर, उसको जीना आ गया।।
राह में औरों के काँटे मत बिछा।
जो बिछाये फूल मग में, उसको जीना आ गया।।
दूसरों के दोष मत देखा करो।
दोष अपने जो निहारे, उसको जीना आ गया।।
इस जगत में सब दीवाने काम के,
जो दिवाना राम का हो, उसको जीना आ गया।।
प्यारेलाल साहू मरौद छत्तीसगढ़