गीत

अपने गम में मुस्कराना आ गया।और दूजों के लिए अब ,आँसू बहाना आ गया।। यूं तो जीते हैं सभी अपने लिए।जो जिये औरों की खातिर, उसको जीना आ गया।। राह में औरों के काँटे मत बिछा।जो बिछाये फूल मग में, उसको जीना आ गया।। दूसरों के दोष मत देखा करो।दोष अपने जो निहारे, उसको जीना…

अपने गम में मुस्कराना आ गया।
और दूजों के लिए अब ,आँसू बहाना आ गया।।

यूं तो जीते हैं सभी अपने लिए।
जो जिये औरों की खातिर, उसको जीना आ गया।।

राह में औरों के काँटे मत बिछा।
जो बिछाये फूल मग में, उसको जीना आ गया।।

दूसरों के दोष मत देखा करो।
दोष अपने जो निहारे, उसको जीना आ गया।।

इस जगत में सब दीवाने काम के,
जो दिवाना राम का हो, उसको जीना आ गया।।

प्यारेलाल साहू मरौद छत्तीसगढ़

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